अर्थनीति और जीवनयात्रा
मौर्य, गुप्त और प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था एवं कृषि पर विस्तृत अध्ययन
1. कथन और उपयुक्त व्याख्या:
1.1) कथन:मौर्य परवर्ती युग में बहुत सारे गिल्ड बने थे।
उत्तर :-
✔ व्याख्या 2: कारीगर और व्यापारी गिल्ड बनाते थे।
स्पष्टीकरण: मौर्य परवर्ती युग में व्यापार और शिल्पकला को बढ़ावा देने के लिए कारीगरों और व्यापारियों ने गिल्ड (श्रेणियाँ) बनाई थीं। ये गिल्ड आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और व्यापार संचालन में सहायता प्रदान करती थीं।
1.2) कथन:
दाक्षिणात्य में अच्छी किस्म की रुई की खेती होती थी।
उत्तर :-
✔ व्याख्या 1: दाक्षिणात्य की काली मिट्टी रुई की खेती के लिए अच्छी थी।
स्पष्टीकरण: दक्षिण भारत (दक्षिणात्य) की काली मिट्टी जल धारण करने की क्षमता रखती है, जो कपास (रुई) की खेती के लिए उपयुक्त होती है। इस कारण वहां कपास की खेती बड़े पैमाने पर की जाती थी।
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति:
✔ 2.1) जनपद (कृषि आधारित) ग्रामीण इलाका था।
✔ **2.2) मौर्य युग में अर्थनीति मूलतः (कृषि) के ऊपर निर्भर करता था।
✔ **2.3) गुप्त और गुप्त-परवर्ती युग में धार्मिक उद्देश्यों के लिए जमीन दान को (अग्रहार) व्यवस्था कहा जाता था।
3. स्वयं की भाषा में उत्तर:
3.1) प्रथम नगरायण (हड़प्पा) एवं द्वितीय नगरायण (महाजनपद) के मध्य क्या पार्थक्य था?
उत्तर:
- हड़प्पा सभ्यता योजना अनुसार बसे नगरों के लिए प्रसिद्ध थी, जहां कुशल जल निकासी प्रणाली, विशाल स्नानागार और मजबूत किलेबंदी थी।
- महाजनपद काल में नगरों का विकास अधिकतर व्यापारिक और राजनीतिक गतिविधियों के कारण हुआ।
- हड़प्पा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार होता था, जबकि महाजनपद काल में स्थानीय और राज्य स्तर का व्यापार अधिक प्रभावी था।
- हड़प्पा में लिखित लिपि थी, जबकि महाजनपद काल में संस्कृत और प्राकृत जैसी भाषाएँ प्रचलित थीं।
3.2) प्राचीन भारत में जल सिंचाई व्यवस्था क्यों की गई थी? उस युग और आज की जल सिंचाई व्यवस्था में क्या अंतर है?
उत्तर:
- प्राचीन भारत में कृषि उत्पादन बढ़ाने और वर्षा पर निर्भरता कम करने के लिए जल सिंचाई व्यवस्था अपनाई गई थी।
- सिंधु घाटी सभ्यता में कुओं और नहरों का उपयोग किया जाता था, जबकि मौर्य और गुप्त काल में कृत्रिम जलाशय और नहरें बनाई गईं।
- आज की जल सिंचाई प्रणाली ट्यूबवेल, ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों पर निर्भर है।
- पहले जल संग्रह और वितरण प्राकृतिक स्रोतों से किया जाता था, जबकि आज बिजली और मशीनों द्वारा जल आपूर्ति की जाती है।
3.3) ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी से ईसा के षष्ठ शताब्दी तक भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-दक्षिण भाग में कृषि पद्धति और उत्पादित फसलों में क्या अंतर था?
उत्तर:
- उत्तर भारत में मुख्य रूप से गेहूं, जौ और चावल की खेती होती थी, जबकि दक्षिण भारत में रुई, मूंगफली और बाजरा जैसी फसलें उगाई जाती थीं।
- उत्तर भारत में गंगा और यमुना नदी के किनारे उपजाऊ मैदानों में खेती होती थी, जबकि दक्षिण भारत की काली मिट्टी रुई और मसालों की खेती के लिए अनुकूल थी।
- उत्तर भारत में कृषि नदी जल और मानसून वर्षा पर निर्भर थी, जबकि दक्षिण भारत में कृत्रिम जलाशयों और तालाबों का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता था।
- गुप्त और मौर्य काल में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कर प्रणाली और सिंचाई परियोजनाओं को लागू किया गया।
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