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Toggleप्राचीन भारतीय उपमहादेश के संस्कृति चर्चा के विभिन्न पहलू (शिक्षा ,साहित्य , विज्ञान और शिल्प )
प्राचीन भारतीय उपमहादेश के बेमेल शब्दों को ढूँढकर निकालो
1.1) नालंदा, तक्षशिला, वलभी, पाटलिपुत्र।
👉 बेमेल शब्द: पाटलिपुत्र (अन्य सभी प्राचीन शिक्षा केंद्र हैं, जबकि पाटलिपुत्र एक नगर था।)
1.2) ब्राह्मी, संस्कृत, खरोष्ठी, देवनागरी।
👉 बेमेल शब्द: संस्कृत (अन्य सभी लिपियाँ हैं, जबकि संस्कृत एक भाषा है।)
1.3) रत्नावली, मृच्छकटिकम, अर्थशास्त्र, अभिज्ञान शाकुंतलम्।
👉 बेमेल शब्द: अर्थशास्त्र (अन्य सभी नाटक या साहित्यिक कृतियाँ हैं, जबकि अर्थशास्त्र एक प्रशासनिक ग्रंथ है।)
नीचे दिए गए वाक्यों में कौन सही एवं गलत है, उसे लिखो
2.1) नालंदा महाविहार में केवल ब्राह्मण छात्र ही पढ़ सकता था।
👉 ❌ गलत (नालंदा में सभी जातियों के छात्र शिक्षा प्राप्त कर सकते थे।)
2.2) कंब के रामायण में राम को बड़ा दिखाया गया।
👉 ✅ सही (तमिल कवि कंबन ने अपने ‘कंब रामायण’ में राम को महिमामंडित किया है।)
2.3) वाग्भट्ट एक चिकित्सक थे।
👉 ✅ सही (वाग्भट्ट प्राचीन भारत के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य थे।)
2.4) कुषाण के समय ही गांधार शिल्प का विकास हुआ था।
👉 ✅ सही (गांधार कला का विकास कुषाण काल में हुआ था, विशेष रूप से कनिष्क के शासनकाल में।)
‘क’ स्तंभ के साथ ‘ख’ स्तंभ को मिलाकर लिखो
क-स्तंभ | ख-स्तंभ |
---|---|
महाबलीपुरम | रथ जैसा मंदिर |
गांधार शिल्प रीति | कुषाण युग |
नागार्जुन | गणितविद |
मनिमेखलाई | तमिल महाकाव्य |
अजंता | गुफा का चित्र |
अपनी भाषा में सोचकर लिखो (तीन / चार लाइनें)
4.1) प्राचीन काल में बौद्ध शिक्षा व्यवस्था के साथ आज की शिक्षा व्यवस्था की समानता और असमानता
उत्तर 👉 प्राचीन बौद्ध शिक्षा में गुरुकुल पद्धति थी, जहाँ छात्र आचार्य के सानिध्य में रहकर अध्ययन करते थे। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय थे। आज की शिक्षा प्रणाली स्कूलों, कॉलेजों और डिजिटल लर्निंग पर आधारित है। आज व्यावसायिक शिक्षा अधिक है, जबकि बौद्ध शिक्षा नैतिकता और आत्मज्ञान पर केंद्रित थी।
4.2) चरक संहिता के अनुसार आदर्श अस्पताल और आज का एक अच्छा अस्पताल
उत्तर 👉 चरक संहिता में एक आदर्श अस्पताल का वर्णन किया गया है, जिसमें स्वच्छ वातावरण, योग्य चिकित्सक और शुद्ध औषधियों की उपलब्धता होनी चाहिए। आज के आदर्श अस्पताल में आधुनिक चिकित्सा उपकरण, विशेषज्ञ डॉक्टर, इमरजेंसी सेवाएँ और रोगियों की देखभाल के लिए उचित सुविधाएँ होनी चाहिए।
4.3) विहार और स्तूप में अंतर
उत्तर 👉 विहार बौद्ध भिक्षुओं के रहने के स्थान होते थे, जहाँ वे ध्यान और शिक्षा प्राप्त करते थे। स्तूप बौद्ध धर्म के पवित्र अवशेषों को संरक्षित करने के लिए बनाए जाते थे। स्तूप पूजा और श्रद्धा का केंद्र थे, जबकि विहार शिक्षा और साधना के लिए प्रयोग किए जाते थे।
५। स्वयं करो :
उत्तर 👉 मिट्टी या थर्मोकोल से चैत्य, विहार और स्तूप का मॉडल बनाएं।
- स्तूप: एक गोलाकार गुंबद के आकार का ढाँचा, जिसमें शीर्ष पर एक छत्र होता है।
- विहार: एक वर्गाकार इमारत, जिसमें कई कमरे होते हैं, जहाँ भिक्षु रहते थे।
- चैत्य: एक पूजा स्थल, जिसके अंदर बुद्ध की प्रतिमा होती थी और स्तूप स्थित होता था
मिट्टी या थर्मोकोल से चैत्य, विहार और स्तूप का मॉडल बनाने की प्रक्रिया
1. स्तूप का मॉडल बनाने की विधि:
✔ सामग्री:
- मिट्टी या थर्मोकोल
- चाकू या कटर
- गोंद या फेविकॉल
- पेंट और ब्रश
- गोलाकार कटे हुए थर्मोकोल टुकड़े
✔ बनाने की विधि:
- सबसे पहले थर्मोकोल या मिट्टी से एक गोलाकार गुंबदनुमा संरचना तैयार करें।
- इसे आधार (प्लेटफॉर्म) पर रखें और चारों ओर सीढ़ियों का निर्माण करें।
- स्तूप के शीर्ष पर एक छत्र (छत्रावली) लगाएँ।
- इसे सफेद या हल्के भूरे रंग में पेंट करें और किनारों पर सजावट करें।
2. विहार का मॉडल बनाने की विधि:
✔ सामग्री:
- मिट्टी या थर्मोकोल
- स्केल और पेंसिल
- चाकू या कटर
- गोंद और पेंट
- छोटे-छोटे कमरे के आकार के टुकड़े
✔ बनाने की विधि:
- सबसे पहले एक वर्गाकार आधार तैयार करें।
- चारों तरफ छोटे-छोटे कमरे (कोठरियाँ) बनाएँ, जहाँ भिक्षु रहते थे।
- बीच में एक खुले आंगन (प्रांगण) का स्थान रखें।
- इसे प्राकृतिक रंगों में पेंट करें और छत या द्वार को उकेरें।
3. चैत्य का मॉडल बनाने की विधि:
✔ सामग्री:
- मिट्टी या थर्मोकोल
- लकड़ी की छड़ी
- ब्रश और पेंट
- गोंद और कटर
- बुद्ध प्रतिमा के लिए छोटा मॉडल
✔ बनाने की विधि:
- चैत्य के लिए एक अर्धवृत्ताकार छत वाली संरचना बनाएँ।
- अंदर बुद्ध की प्रतिमा स्थापित करें और केंद्र में एक छोटा स्तूप रखें।
- छत को सुंदर आकृतियों से सजाएँ और इसे हल्के रंगों में पेंट करें।
- द्वार को मेहराबदार बनाकर पारंपरिक शैली दें।
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