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सुखलता राव
सुखलता राव की कहानी फूल (फूलपरियाँ) का सारांश :
१.मनुष्य के जन्म से पेहले पथ्वी की दशा :
फूल सुखलता राव की कहानी है। इस कहानी में सुखलता राव बताती है कि धरती में फूलो जन्म कैसे हुआ?आइये कहानी शुरुआत करते है। बहुत-बहुत समय पहले है जब मनुष्य जन्मा भी नहीं हुआ था। तब धरती के ऊपर फूल नहीं थे। धरती के ऊपर केवल बड़े-बड़े घास और पत्तों वाले पेड़ थे। रोशनी आती और फूलों को ढूँढ-ढूँड कर चली जाती। हवा पत्तों को सूँघ-सूँघ कर चली जाती। और कहते इतनी सुन्दर धरती और फूल नहीं।
२.एक रात धरती के बागानों में फूलपरियाँ उतर आई:

एक रात धरती के बागानों में फूलपरियाँ उतर आई। फूलपरियाँ देश में तो ढेर सारे फूल है। वे फूलों की पंखुड़ियों वाली पोशाक पहनती है, उसी का मधु पीती है। परियों ने आपस में कहा, ” अच्छा इतनी सुन्दर जगह पर फूल नहीं हैं?’ चलो, हम फूल लेकर आयें ? और परियां अपने देश गई और वहां से बहुत सारा फूल लेकर आई।
३.फूलपरियाँ ने उन बीजों को धरती के वनों में छींट दिया :
फूल के बीजों को फूलपरियाँ धरती पर जंगलों-वनों में छींट दिया। उन बीजों से पौधे निकले। उसके बाद पौधों में तरह-तरह के रंगीन कलियाँ निकलीं। कलियाँ खिल गई। सफेद, नीले, पीले, लाल, बैगनी फूलों से भर गया वन। रोशनी आकर उन पर अपना हाथ फेर गई। हवा ने आकर उन्हें झूमाया। मधुमक्खियाँ दौड़ी आई मधु पीने।इस प्रकार सारा धरती फूलो से भर गया।
४.क्या आज भी फूलपरियाँ आती है :
आज भी शायद फूलपरियाँ धरती पर आती है। पर जहाँ लोग रहते हैं, वहाँ नहीं। रात होने पर, चाँद निकलते ही, वे गहरे-घने जंगलों के बीच उतरती है। फूल के वन में पूरी रात हाथों में हाथ मिलाए नृत्य करती है। भोर होने से पहले ही वे चली जाती है। सबेरा होने पर वहाँ जाकर देखने से ऐसा लगता है कि उनके पैरों की छाप से जैसे वहाँ के घास सो गए हों। किसी ने देखा है… ?
.फूल पाठ का खाली स्थान :
१.कच्चा आम खाने में खट्टा और पक्का आम खाने में मीठा होता है।
२.झूला बार-बार ऊपर जाता है फिर नीचे आता है।
३.सूरज के उठते ही चारों ओर उजाला छा जाता है और रात होती ही अंधेरा हो जाता है।
४.यदि मैं शैतानी करूंगा तो लोग मुझे खराब कहेंगे और यदि लोगों का कहना मांग लूंगा तो लोग मुझे अच्छा कहेंगे।
५. पूरब की और सूरज उगता है और पश्चिम की ओर डूबता है।
.फूल पाठ का importance question :
उत्तर :फूल पाठ की कवित्री का नाम सुखलता राव है
उत्तर :बहुत समय पहले धरती में फूल नहीं थे।
उत्तर :रौशनी फूलो को ढूंढ कर चली जाती थी।
उत्तर :एक दिन धरती पर फूलपरियां उतरी।
उत्तर :परियाँ घने जंगल में उतरती है।
उत्तर :लेखक के द्वारा मनुष्य के जनम से पहले धरती में फूल नहीं थे।
उत्तर :परियाँ फूलो का पोशाक थी।
उत्तर :परियाँ फूल का मधू पीती थी।
notice :-फूल कविता सुखलता राव ने लिखा है। इस article लिखने के लिए हमने west bengal sylabus के पाठबहार पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में हमारी मदद करे।