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.पिनाकिरंजन चट्टोपाध्याय.
. लहरों के साथ-साथ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखो :
१. लहरों के साथ-साथ कहानी में डेंगी हिन्द महासागर की ओर बढ़ते हुए :
गोमुख से आगे बढ़ने पर नदी का प्रथम पड़ाव गंगोत्री है जो समुद्र तल से ३०५० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी धारा यहाँ पतली लेकिन बहुत तीव्र है। यहाँ जल भी बहुत ठंडा है। गंगोत्री से आगे बढ़ने पर नदी ‘हर्सिल’ नामक स्थान पर पहुँचती हूँ। यहाँ हिमालय की अनेक धाराएँ आकर मुझसे के संगम पर स्थित है। जहाँ नदी की धारा के बहते जल को रोक रखने के लिए प्रमुख टिहरी बाँध बनाया गया है।
२. लहरों के साथ-साथ कहानी में एक कछुवा डेंगी का पीछा कर रहा था :
आज सुबह से ही एक बहुत बड़ा कछुआ हमारे पीछे-पीछे आ रहा है। एक और समुद्री जीव के साथ अपनापन हो रहा था,वह कछुवा मन मोह था। छोटा सा प्यारा सा कछुवा। परन्तु व्यस्तता की वजह से हम उसे और समय न दे सके। आज हम दोनों उदास थे, क्योंकि अब वह नहीं आ रही थी।
३. लहरों के साथ-साथ कहानी में सेक्सटान्ट से रास्ता देखते हुए :
हमारी छोटी सी चिड़िया। सेक्सटान्ट लेकर ड्यूक दुबारा बैठे। मैंने अपनी साँसों को लगभग रोक रखा है ऐसा समझते ही कहा, ‘नहीं कोई डर नहीं अब’ हम अपने रास्ते पर चल रहे है। एक तरफ रास्ते को तय करना, और दूसरी ओर अपनी स्थिति को जानने की उत्तेजना में ही मैंने समुद्र के पानी से चाय बनाई। वमन हो रहा हैं, अकारण आशंका हो रही है, और क्यों ड्यूक सब कुछ ठीक है तो ? कहीं उसका सेक्सटॉन्ट गलत तो नहीं बता रहा ? ना, उसकी कोई भूल नहीं है। यह सोचते हुए कितना अच्छा लग रहा है कि लगातार कई दिनों तक परेशान होने के बाद आज हमें सही रास्ता मिला।
.४ लहरों के साथ-साथ कहानी में ड्यूक ने कहा रसगुल्लों को खाया जाय:
अचानक ड्यूक ने कहा, “चलो, आज कुछ किया जाय”, क्या किया जाय। रसगुल्लों को खाया जाय। टीन में भरे रसगुल्लों को खाते हुए दोनों नौका के दोनों किनारों से सटकर बैठे है। चारों ओर केवल पानी ही पानी। खाली टिन को फेंकते समय रसगुल्लों के रस की कुछ बूंदें शरीर पर आ गिरीं, चींटी न लग जाए इस डर से उसे समुद्र के पानी से धो रहा हूँ, देखा ड्यूक हँसते-हँसते लोट-पोट हो रहा है। उसने याद दिलाया कि अरे चींटियों को यहाँ पहुँचने के लिए लगभग २०० मील की दूरी को तैरकर आना होगा।

.५ लहरों के साथ-साथ कहानी में डेंगी अण्डमान के रास्ते पर बढ़ती हुए :
दोपहर के समय भरपेट खाये और खूब पतवार चलाये। अब आंग्रे तेजी से अनुकूल धारा में अण्डमान के रास्ते पर बढ़ती चली जा रही है। पतवारों द्वारा खेना बंद करने के बाद भी धारा के बहाव में हम दक्षिण- पूर्व कोने की ओर बहते जा रहे हैं।
६. लहरों के साथ-साथ कहानी में लेखक खाना बनाते हुए :
नींद टूटते ही याद आया आज तो खाना मुझे बनाना है। ऐसा सोचते ही मन उदास हो गया। यह तो बड़ी असहनीय बात है। हमारी स्थिति निकाली गई, हम अच्छी तरह आगे बढ़ रहे हैं। अभी नौका की जो दशा है कि कौन सा सामान कहाँ रखा है, वह भी अब याद नहीं आ रहा। दूध वाले टिन को खोजने में ही आधे घण्टे लग गए।
७. लहरों के साथ-साथ कहानी में फिर से कछुवा से मुलाकात होती है:
लहरों के साथ-साथ आगे बढ़ने के रास्ते में एक और कछुए से मुलाकात हो गई। धीरे- धीरे आराम से तैरता हुआ वह पीछे-पीछे चला आ रहा है। डर लगा कि अधिक दोस्ती करने पर कहीं अपने मुँह से वह जाल को पकड़ न ले।….. तब तो भयकर घटना घट जाएगी। पास ही टार्च वाली एक बैटरी थी। निशाना लगाकर जोर से दे मारा। ड्यूक जोरों से हँसने लगा और कछुए को लगा कि मैंने उसे दुलारा अतः वह और पास आ गया। ऐसा लगा जैसे आंग्रे के ऊपर अब चढ़ा, तब चढ़ा।
८. लहरों के साथ-साथ कहानी में आंग्रे के चारो तरफ चिड़ियाँ खाना जैसा नजारा :
सचमुच आंग्रे के चारों ओर जैसे एक चिड़ियाखाना बन गया हो। नाना-रंगों वालीमछलियाँ यहाँ की सबसे अधिक दर्शनीय वस्तु हैं। इरादा किया गया कि उन्हें पकड़ा जायगा; परन्तु दोपहर के समय तो हम छक गए। फिर भी में प्रयास में लगा हूँ , कम से कम एक ही सही। अचानक ड्यूक नेआवाज लगायी और पानी में कूद पड़े। मेरे द्वारा मछलिको पकड़ना बन्द हुआ।
९ . लहरों के साथ-साथ कहानी ड्यूक और लेखक स्नान किया :
लहरों के साथ-साथ आगे बढ़ने के रास्ते में एक और कछुए से मुलाकात हो गई। धीरे- धीरे आराम से तैरता हुआ वह पीछे-पीछे चला आ रहा है। डर लगा कि अधिक दोस्ती करने पर कहीं अपने मुँह से वह जाल को पकड़ न ले।….. तब तो भयकर घटना घट जाएगी। पास ही टार्च वाली एक बैटरी थी। निशाना लगाकर जोर से दे मारा। ड्यूक जोरों से हँसने लगा और कछुए को लगा कि मैंने उसे दुलारा अतः वह और पास आ गया। ऐसा लगा जैसे आंग्रे के ऊपर अब चढ़ा, तब चढ़ा।
१. लहरों के साथ-साथ कहानी के सभी प्रश्न का संक्षेप में उत्तर दो।
१.१. अभियान में लेखक के साथी कौन -कौन है ?
उत्तर:अभियान में लेखक के साथी मछली और कछुआ थे।
१.२. अभियान वाली नौका का नाम क्या था ?
उत्तर:अभियान वाली नौका का नाम ‘कनौजी आंग्रे था।
१.३. नौका किस महासागर की ओर बढ़ रही थी ?
उत्तर: नौका हिन्द महासागर की ओर बढ़ रही थी ।
१.४. लेखक का गंतव्य स्थान कहाँ था ?
उत्तर: लेखक का गंतव्य स्थान ‘कनौजी आंग्रे था ।
१.५. दोपहर के समय मछली के साथ किसकी लड़ाई चल रही थी?
उत्तर:दोपहर के समय मछली के साथ कछुआ की लड़ाई चल रही थी ।
. लहरों के साथ-साथ कहानी का importance question
उत्तर : लेखक ने ‘कनौजी आंग्रे‘ नामक एक डेंगी (छोटी नौका) द्वारा अण्डमान की सामुद्रिक यात्रा अल्बर्ट जार्ज ड्यूक के साथ १ फरवरी १९६९ को शुरू की थी। और ३३ दिनों के पश्चात वे ५ मार्च १९६९ को अण्डमान तट पर पहुँचे। ऐसी दुःसाहसिक सामुद्रिक यात्रा के कारण वे पूरे भारतवासियों के लिए चिरस्मरणीय हैं।
उत्तर :एक ऐसा यंत्र जिसकी सहायता से सूर्य सहित अन्य नक्षत्रों को कोणीय स्थिति को मापा जाता है। सामुद्रिक अभियानकारियों के दिशा निर्धारण कार्य हेतु यह एक अतिआवश्यक यंत्र है।
notice :-लहरों के साथ साथ कहानी पिंकी रंजन चट्टोपाध्याय ने लिखा है। इस article लिखने के लिए हमने west bengal sylabus के पाठबहार पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में हमारी मदद करे।