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.शरीर के स्वस्थ रखने के लिए शाम के नये-नये खेल :

कक्षा में आते ही शिक्षिका ने पूछा– कल शाम को तुम लोगों ने कौन कौन से खेल खेले?
विमल ने हँसकर कहा हमलोगों ने फुटबॉल खेला। तितली ने कहा जानती हैं मैडम, वह बहुत अच्छा खेलता है।
– फुटबॉल खेलने में की बहुत कसरत होती है। खूब दौड़ना पड़ता है।
हामिद ने कहा- मैडम, हमलोगों ने क्रिकेट खेला।
रीना ने कहा- क्रिकेट खेलने से हाथ और पैर दोनों की मेहनत होती है। है न मैडम ?और शरीर भी रहता है।
– बैट-बॉल करना, रन लेना, फिल्डिंग करना सभी तो हाथ और पाँव के काम है।
वीणा ने कहा – हमलोगों ने कल इक्का-दुक्का खेला। एक पैर से कूदने पर पैर का काम और अधिक होता है?
पैर के तलवे, एड़ी, घुटना- सभी काम करते हैं।
अमिना ने कहा- मगर लुका-छुपी खेलने में भी बहुत दौड़ना पड़ता है।
सबिना ने कहा- मैं रोज स्किपिंग करती हूँ। उससे भी पूरे शरीर का व्यायाम हो जाता है।
निश्चित ही स्किपिंग से उँगुली, कब्जी, केहुनी, कन्धे इन सबका भी बहुत व्यायाम हो जाता है। इसके अलावा पैर का व्यायाम तो है ही।
.शरीर पाठ का question /ans
उत्तर : फुटबॉल ,क्रिकेट ,कबड्डी स्किपिंग आदि।
उत्तर : फुटबॉल खेलने से पैरो की कसरत होती है। खूब दौड़ना पड़ता है।
उत्तर : क्रिकेट खेलने से हाथ और पैर का अधिक काम होता है। बैट -बॉल करना ,रन लेना ,फिल्डिंग करना सभी तो हाथ पैर के काम है।
उत्तर : स्पिकिंग करने से शरीर के उँगुली ,कब्जी ,केहुनी,कंधे और पैर का व्यायाम होता है।
.अच्छा खेलना और अच्छा सुनना:

रीना ने कहा- मैडम, कल हमलोगों ने कबड्डी खेली।कबड्डी खेलने से शरीर स्वस्त रहता है।
अमिना ने कहा- उसमें बहुत दम है। वह जिस दल में रहती है, वही जीतता है।
सीमा ने कहा- वह बहुत धीरे-धीरे गुनगुनाती हुई कबड्डी कबड्डी बोलती है। सुनाई भी नहीं पड़ता। क्या पता साँस भी ले लेती हो।
विशु ने हँसते हुए कहा- इस बात को लेकर खूब झगड़ा हुआ। सीमा कहती है, तुमने साँस ली है। पर रीना नहीं मानी।
रीना ने कहा- और तो कोई नहीं कहता। वह कम सुनती है। तो मैं क्या करूँ ?
का मैल साफ करने में बड़ों की मदद लेनी चाहिए।
मैडम ने जानना चाहा- किस कारण से सुनने में कठिनाई होती है ,मालूम है?
दिलीप ने कहा- कान बन्द हो जाने से सुनने में कठिनाई होती है।
कान में मैल जमने की बात कह रहे हो क्या ?
निशा ने कहा- हाँ मैडम, कान में खॉट जम जाए तो कान बन्द हो जाता है।
• ठीक कहा तुमने। कान साफ करना चाहिए मगर सावधानी से। कान के भीतर एक बहुत पतला सा पदाँ है।
कहाँ ? दिखाई तो नहीं पड़ता !
कुछ भीतर की ओर होता है। उसमें चोट लग जाए तो मुश्किल होती है।
दिलीप ने कहा- मेरे दादा जी मेरे कान साफ कर देते हैं।
अच्छी बात है। कान बड़ो से ही साफ करवाना चाहिए।
.शरीर पाठ का question /ans
उत्तर : कान में खोंट जैम जाए तो सुनने में कठनाई होती है।
उत्तर : कान के भीतर पतला पर्दा होता है।
उत्तर : कान साफ करते वक्त बड़ो की मदद लेनी चाहिए।
उत्तर : हम नाक के द्वारा सास लेते है।
उत्तर : साँस समय फेफड़ा फूलता है।
उत्तर : बात करते समय ओठ ,जबान ,तालु,कणट आदि काम करता है।
उत्तर : कान के अलावा आँख ,नाक ,दाँत और जीभ आदि में गन्दगी जमती है।
.देह, हाथ, पैर की देखभाल:
रबीन ने कहा मैडम, खेलते खेलते हाथ के नाखून के नीचे मैल जम जाते हैं।
अमिना ने कहा- नाखून साफ करना बहुत आसान है। सबसे पहले नेल कटर से नाखूनों को काटोगे। उसके बाद साबुन से उसे धो लोगे।
मैडम ने कहा- ठीक कहा है। साबुन लगाओगे। उसके बाद नाखून को घिस लोगे।
रीना ने कहा- मैडम, नेल कटर तो अंग्रेजी शब्द है न ?
– हाँ/नैल का मतलब नाखून। और जिससे काटा जाता है वह कटर।
ऋतु ने कहा- ब्लेड द्वारा भी नाखून काटे जाते हैं।
रीना ने कहा- हाँ, मगर सावधानी से काटना पड़ता है। उँगली कट जाने का डर रहता है। मेरे दादाजी नहरनी से नाखून काटते हैं।
अच्छा, कान और नाखूनों के अलावा शरीर में और कहाँ मैल जमता है?
असीम ने कहा हाथ, पैर और शरीर का चमड़ा जहाँ-जहाँ मुड़ता
शरीर की देखभाल और अच्छी आदत का विकास
है वहीं मैल जमता है।
-जहाँ आखें नहीं देख पाती वह भी मैल जमता है जैसे पीट , गर्दन, कनपट्टी।
दिलीप ने कहा- केहुनी में जमता है। पैर के ऊपर भी जमता है।
जाड़े के मौसम में पैर के ऊपर मैल जमने से मुश्किल है। पैर की एड़ी फट जाती है।
हीना ने कहा- एड़ियों में भी मैल जमते हैं। जाड़े में एड़ियाँ फट जाती हैं।
– साबुन से इन जगहों को साफ करना चाहिए।
दीपिका ने कहा- साबुन लगाने के बाद धो लेना पड़ता है। भीगे हुए चमड़े को हाथ से रगड़ना पड़ता है। तब चमड़ा साफ हो जाता है।
जुलेखा ने कहा- उसके बाद थोड़ा तेल लगाने से और अच्छा होगा।
– देखती हूँ. तुमलोग तो बहुत कुछ जानते हो। सभी नियमित रूप से सिर देह हाथ-पैर साफ करोगे। नाख़ून बढ़ते हो काट लोगे।
.शरीर पाठ का question /ans
उत्तर : नेल कटर अंग्रेजी भाषा का शब्द है।
उत्तर : नेल का अर्थ है नाख़ून और कटर का अर्थ है जिससे कटा जाता है।
उत्तर : ब्लेड से भी नाख़ून काटा जाता है।
उत्तर : हाथ ,पैर ,शरीर का चमड़ा जहाँ -जहाँ जमा हो वहां मैल जम जाता है।
उत्तर : जाड़े के मौसम में पैर के ऊपर मैल जमने से पैर का चमड़ा फट जाता है।
.सुबह उठकर सबसे पहले मंजे हम सब दाँत:
दूसरे दिन कक्षा में आते ही रेहाना ने पूछा मैडम , जीभ पर भी तो बहुत गन्दगी जमती है।
मैडम ने कहा ह जमती है। मुँह साफ करे हो न उसी समय जीभ भी साफ किया करो।
एमिली ने कहा- दाँतों में भी गन्दगी जमती है। मुँह में दुर्गन्ध आती है। इसीलिए हर रोज दाँत मांजती हूँ।
मगर दाँत मांजने के नियम है।
सभी चौंक पड़े। दाँत माँजने का कैसा नियम ?
निचली दाँत के लिए निचे से ऊपर और ऊपरी दाँत के लिए ऊपर से निचे।
दिलीप ने कहा- मैडम, आँख और नाक में भी गन्दगी जमती है।
नाक और आँख को भी साफ करना पड़ता है।
पिकू ने कहा- गन्दगी जमकर सख्त हो जाने पर पानी से भिगो लेना चाहिए। पानी से भिगोने पर गन्दगी नर्म हो जाती है। साफ करना आसान हो जाता है। है न मैडम ?
– वाह !तुम्हें तो मालूम ही है। सभी लोग रोज सुबह दाँत, जीभ क मुह-सम साफ करोगे।
. शरीर पाठ का question /ans
उत्तर : जीभ जीभिया से साफ किया जाता है।
उत्तर : निचली दाँत के लिए निचे से ऊपर और ऊपरी दाँत के लिए ऊपर से निचे।
.नाक, कान, आँख, जीभ और त्वचा मिलजुल कर हम है पाँच :
अमिना के नाना जी कुछ सोच रहे थे। अमिना ने पेन्सिल को नाना जी की केहुनी में छुला दिया। नाना जी ने अमिना की तरफ देखा। कहा-कहाँ पेंसिल छुलाने से समझ में आता है। जरा बताओ तो ? चमड़े पर।
शरीर पर त्वचा (चमड़ा), जहाँ पतली होती है, वहाँ ज्यादा समझ में आती है।
यह तो सबको मालूम है।
नाना जी ने हँसते हुए कहा – यदि गन्ने से शरीर को दबाओ तो दर्द महसूस होगा। मगर जीभ से चखो तो मीठा लगेगा। अब, दिन के उजाले में आँखें बन्द कर लो। कुछ नहीं दिखेगा। आँखों में उजाला जाए, तभी देख पाओगी। वैसे ही, कान बन्द रखो। कोई पुकारे तो नहीं सुन पाओगी। नाक को जोर से दबा लो तो सूँघ नहीं पाओगी।
दूसरे दिन अमिना ने स्कूल में सब को बताया। गन्ने के बारे में उसके नाना जी की बातें सुनकर सब को मजा आया। मैडम ने कहा- आँख, कान, नाक, जीभ और चमड़ा, इन पाँच अंगों को इन्द्रिय कहते हैं। पाँच हैं, इसीलिए पंचेन्द्रिय है। तियान ने कहा- गले की आवाज से पता चलता है कि कौन बुला रहा है।
रबिन ने कहा- जान पहचान का होने पर ही पता चलता है।
– हाँ, देखकर पहचानना और गले की आवाज सुनकर पहचानना। दोनों ही अलग-अलग काम हैं। जो आँखों से कम देखते हैं, वे कानों को खूब काम में लगाते है।
हीरा ने कहा – मेरी दादी माँ आँखों से नहीं देख पातीं। गले की आवाज से ही हमें पहचान लेती हैं। छूकर भी पहचान सकती हैं।
– हाँ। एक इन्द्रिय अगर काम करना बन्द कर दे, तो दूसरी इन्द्रियाँ उसके काम में मदद करती हैं।
.शरीर पाठ का question /ans :
उत्तर : आँख ,कान ,नाक ,जीभ और चमड़ा इन सभी पांच अंगो को इन्द्रिय कहते है।
उत्तर : इन्द्रियों के पांचो अंग को मिला क्र पचन्द्रियाँ कहलाता है।
उत्तर : जीभ खाने का स्वाद लेता है और नाना प्रकार के स्वादों में अंतर समझाता है।
उत्तर : आँख सम्पूर्ण संसार को देखने और रंगो को पहचाने में मदद करती है।
उत्तर : नाक सुगंध और गंध को सूंघती है।
उत्तर : कान आवाज को सुनने में मदद करती है।
उत्तर : त्वचा का काम है स्पर्श करना।
.काना माछी भों भों जिसको पाओ उसको छू:
काना माछी के खेल में सभी काना माछी को घेरकर दौड़-भाग करते हुए बोलते हैं:
काना माछी भों-भों जिसको पाओ उसको छू !
उस दिन मैडम ने खेलने का नया नियम बताया।
एक दल में छः लोग रहेंगे। एक काना माछी बनेगा। एक रेफरी। बाकी चार थोड़ी दूरी पर खड़े हो जाएँगे।
दौड़ेंगे नहीं। हर एक को चार-चार बार कहना है : काना माछी भों-भों जिसको पाओ उसको छू।
काना माछी सुनेगा। अन्दाजा लगाएगा, आवाज किधर से आ रही है? फिर उसे ढूँढ़ेगा। एक मिनट के भीतर उसे छूना पड़ेगा। नहीं छू पाया तो फिर सभी हट जाएँगे। पुनः चार बार-काना, माछी भों-भों जिसको पाओ उसको छू कहेगा।
इसी तरह कुछ देर तक खेल चला। नये नियम से बहुत मजा आया। थोड़ी देर बाद तियान बोला-एक नियम और हो सकता है। पहले घूमते घूमते सभी काना माछी भों -भों कहेंगे। फिर रेफरी किसी एक को बोलने के लिए कहेगा। काना माछी आवाज पहचान क्र कहेगा ,यहाँ किसकी आवाज है।
मैडम ने कहा- यह तो बहुत मजेदार नियम है।
रबिन ने भारी स्वर में कहा- मैं आवाज बदलकर कहूँगा।
प्रकाश ने कहा- देखना, मैं फिर भी पहचान लूँगा।
सीमा ने कहा- ठीक है, प्रकाश ही पहले काना माछी बने।
प्रकाश काना माछी बना। तियान के नियम से दोबारा खेल शुरू हुआ।
.शरीर पाठ का question /ans :
उत्तर : काना माछी एक तरह का खेल है इसमें एक बच्चा काना माछी बनता है और बाकि सभी बचे उसके चारो तरफ घूम कर ” काना माछी भों -भों जिसको पाओ उसको छू !” बोते हुए खेलते है। इस खेल से कानो की योग्यता का मन लगाया जाता है।
.आँखों जैसा कोई दोस्त नहीं:
कक्षा में आते ही मैडम ने कहा- रीना, तुम कल स्कूल क्यों नहीं आई थी ? रीना ने कहा-पेट खराब हो गया था।
आजकल बहुत उल्टी-पुल्टो चीजें खाती हो। इसमें पेट की क्या गलती? सुनील, तुम भी पिछले तीन दिन अनुस्थित थे ?
सुनील ने कहा- बहुत सर्दी लगी थी। बुखार भी था।
मैडम ने सुनील की तरफ देखा। उसका चेहरा उतरा हुआ था। उसे नजदीक बुलाया। पिन्टू ने कहा- मैडम, सिर में बहुत दर्द हो रहा है। कई दिनों से पढ़ते समय ऐसा हो रहा है।
शिक्षिका ने उसे एक किताब पढ़ने को दी। पिन्टू किताब को आँखों के बिल्कुल करीब ले गया। तब पढ़ सका।
शिक्षिका समझ गई कि वह दूर की चीज ठीक से नहीं देख पाता है। मैडम ने कहा- अपने पिताजी को कल ही स्कूल आने को कहना। तुम्हें आँखों के डाक्टर को दिखाना पड़ेगा। शायद, तुम्हारा सिर इसी कारण दर्द करता हो। तुम में से किसी और को भी ऐसी समस्या है तो हाथ उठाओ।
इधर-उधर से कुछ हाथ ऊपर उठे।
मैडम ने कहा- ठीक से देख नहीं पाओगे तो इस सुन्दर पृथ्वी को समझोगे कैसे ?
रीना ने कहा- ठीक से देख नहीं पाने से हमें बहुत कुछ सीखने में समस्या भी होती है।
– ठीक कहते हो आँखें रोशनी को पहचान कर हमें देखने में मदद करती है। इसीलिए आँखों की देखभाल करनी चाहिए। देखभाल न हो, तो कम उम्र में ही चश्मा लेने की जरूरत पड़ती है। अब मुझे ही देखो, में करीब की चीजें साफ-साफ नहीं देख पाती। मुझे भी इसीलिए चश्मा लगाना पड़ा है।
पल्टू ने कहा- मेरा मौसेरा भाई रंगों की पहचान नहीं कर पता। उसकी चिकित्सा चल रही है। हमारी आँखों में ऐसे कुछ तत्त्व हैं जो रंगों की पहचान कराने
में हमारी मदद करते हैं। हो सकता है तुम्हारे भाई की आँखों में वे तत्त्व ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
इमरान ने कहा- मेरे दोस्त तपन को रात में ठीक से दिखाई नहीं पड़ता
– लगता है तपन को रतौंधी बीमारी है। असली बात ये है कि, आँखें हमें सबकुछ देखना सिखाती हैं। जानना सिखाती हैं। पहचानना सिखती हैं। इसीलिए आँखों की देखभाल बहुत जरूरी है।
.शरीर पाठ का question /ans
उत्तर : आँखो का कमजोर होने के कारण सर में दर्द हो जाता है।
उत्तर : आँखें रौशनी को पहचान कर हमे देखने में मदद करती है इसलिए आँखो की देख भल करनी चाहिए। देख भल नहीं किया जय तो कम उम्र में ही चश्मे की जरूरत पद सकती है।
उत्तर : रतौंधी आँखों की बीमारी है।
उत्तर : जिस प्रकार एक दोस्त को चोट लगने पर दूसरे के आँखों से आंसू आता है ठीक उसी प्रकार इन्द्रिय को चोट लगने से दुसरे को दर्द है।
उत्तर : इन्द्रियां अपने आसपास के वातावरण से प्रभावित होती है। जैसे अचानक रौशनी आने से आँखें बंद होजाती है ,अधिक गर्मी निकलता है।
notice :शरीर class 3 का है। इस article लिखने के लिए हमने west bengal sylabus के हमारा पर्यावरण पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में हमारी मदद करे।