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प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण राजवंश: मौर्य, कुषाण और गुप्त काल
भारत के इतिहास में मौर्य, कुषाण और गुप्त राजवंशों का अत्यधिक महत्व रहा है। इन राजवंशों की शासन व्यवस्था, संस्कृति, कला और मुद्राओं में कई समानताएँ और असमानताएँ देखने को मिलती हैं। आइए, इनसे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर विस्तार से जानते हैं।
1. साम्राज्य विस्तार और शासन का सही (✔) और गलत (X) वाक्य
1.1 सेल्यूकस और चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच हमेशा शत्रुता थी। ❌ (गलत)
👉 सही उत्तर: चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस निकेटर को हराया और उसके साथ संधि की, जिससे सेल्यूकस ने अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से किया तथा उसे अपने कुछ प्रदेश भी सौंप दिए।
1.2 मौर्य शासन काल में महिलाओं को भी महामात्य का दायित्व मिलता था। ✔ (सही)
👉 सही उत्तर: मौर्य काल में महिलाओं को भी प्रशासनिक पद दिए जाते थे। अशोक के शासन में कुछ महिलाएँ महामात्य के पद पर थीं।
1.3 कुषाण इस देश के ही नागरिक थे। ❌ (गलत)
👉 सही उत्तर: कुषाण वंश की उत्पत्ति मध्य एशिया से हुई थी और बाद में उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अपना साम्राज्य स्थापित किया।
1.4 चन्द्रगुप्त प्रथम गुप्ताब्द गिनने आरम्भ किए। ✔ (सही)
👉 सही उत्तर: गुप्त साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत की शुरुआत की, जो उनके शासनकाल की शुरुआत को दर्शाता है।
2.साम्राज्य विस्तार और शासन का उपयुक्त व्याख्या चुनें
2.1 अशोक ने अपने साम्राज्य में पशु हत्या को बन्द किया था।
👉 सही व्याख्या: धम्म का अनुसरण करने के लिए।
2.2 कुषाण सम्राट अपनी मूर्ति देवालयों में रखते थे।
👉 सही व्याख्या: वे प्रजा के सामने स्वयं को देवता जैसा ही सम्मानीय के रूप में उपस्थित करते थे।
2.3 गुप्त सम्राट बड़ी-बड़ी उपाधियाँ लेते थे।
👉 सही व्याख्या: सम्राट इसके जरिए अपनी विशाल क्षमता का प्रदर्शन करते थे।
2.4 सुवान जांग चीन से भारतीय उपमहादेश में आए थे।
👉 सही व्याख्या: हर्षवर्धन के शासन के विषय में पुस्तक लिखने के लिए।
3.साम्राज्य विस्तार और शासन का अपनी भाषा में उत्तर
3.1 कलिंग युद्ध के परिणाम के साथ अशोक का धम्म से क्या सम्बंध था? धम्म उसके शासन को कितना प्रभावित किया था?
उत्तर :👉 कलिंग युद्ध में हुई भयानक हिंसा और जनहानि से अशोक को गहरा दुख हुआ। इसके बाद उन्होंने अहिंसा और बौद्ध धर्म को अपनाया, जिसे उन्होंने “धम्म” कहा। धम्म नीति के अंतर्गत उन्होंने युद्ध न करने, प्रजा की भलाई करने, धार्मिक सहिष्णुता, और नैतिक जीवन जीने पर जोर दिया।
3.2 मौर्य सम्राट गुप्तचर की नियुक्ति क्यों करते थे?
उत्तर :👉 मौर्य सम्राट अपने साम्राज्य की सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए गुप्तचरों की नियुक्ति करते थे। ये गुप्तचर राज्य के विभिन्न भागों में घूमकर राजा को जानकारी देते थे, जिससे विद्रोह और षड्यंत्रों को रोका जा सकता था।
3.3 मौर्य सम्राट और गुप्त सम्राट के मध्य क्षमता और मर्यादा की तुलना कीजिए।
उत्तर :👉 मौर्य सम्राटों का शासन अधिक केंद्रीकृत था, जिसमें राजा के पास असीमित शक्ति थी, जबकि गुप्त सम्राटों का शासन अपेक्षाकृत विकेंद्रीकृत था, जहाँ स्थानीय प्रशासकों को अधिक अधिकार मिले हुए थे। मौर्य सम्राटों का प्रशासन सख्त और संगठित था, जबकि गुप्त काल में शास्त्र, कला और विज्ञान में अधिक विकास हुआ।
4.मौर्य, कुषाण और गुप्त काल के मुद्राओं की तुलना करने पर क्या-क्या समानता असमानता देखने को मिलेगा।
उत्तर :-साम्राज्य विस्तार और शासन का मौर्य, कुषाण और गुप्त काल के मुद्राओं की तुलना
मुद्राएँ किसी भी साम्राज्य की आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थिति को दर्शाती हैं। मौर्य, कुषाण और गुप्त काल की मुद्राओं में कई समानताएँ और असमानताएँ देखी जा सकती हैं।
विशेषता | मौर्य काल की मुद्राएँ | कुषाण काल की मुद्राएँ | गुप्त काल की मुद्राएँ |
---|---|---|---|
धातु | चाँदी, ताँबा, सीसा | स्वर्ण, ताँबा, चाँदी | स्वर्ण, ताँबा, चाँदी |
प्रमुख चित्र | पशु, वृक्ष, धार्मिक चिन्ह | सम्राटों की आकृतियाँ, बौद्ध धर्म से जुड़े चिन्ह | देवताओं की आकृतियाँ, सम्राटों के चित्र |
लिपि | ब्राह्मी | खरोष्ठी, ग्रीक, ब्राह्मी | ब्राह्मी |
विषय-वस्तु | राज्य के प्रतीक, व्यापारिक चिह्न | राजा की छवि, धार्मिक चिह्न | हिंदू देवी-देवताओं की आकृतियाँ |
👉 समानताएँ:
- तीनों राजवंशों की मुद्राएँ व्यापार और अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण संकेतक थीं।
- मुद्राओं में राजा की पहचान, शासनकाल और धार्मिक प्रतीक अंकित किए गए थे।
- ताँबा, चाँदी और स्वर्ण जैसी धातुओं का उपयोग किया गया।
👉 असमानताएँ:
- मौर्य मुद्राएँ बिना उकेरे गए (Punch-marked) सिक्कों के रूप में थीं, जबकि कुषाण और गुप्त काल में सिक्कों पर उकेरी गई चित्रकारी देखने को मिलती है।
- कुषाण काल में विदेशी प्रभाव अधिक था, इसलिए उनकी मुद्राओं पर ग्रीक और खरोष्ठी लिपि भी देखी जाती है।
- गुप्त काल की मुद्राओं में हिंदू देवी-देवताओं का अधिक प्रभाव दिखता है, जबकि मौर्य और कुषाण मुद्राओं में बौद्ध और विदेशी प्रभाव प्रमुख था।
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