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एक नदी की कहानी (गंगा )

एक नदी की कहानी (गंगा )

.गंगा नदी सारांश :

१. गंगा नदी का परिचय :

एक नदी की कहानी (गंगा )भारत के लोग गंगा नदी को पवित्र नदी मानते हैं।सभ्यता के आरम्भ से ही इस नदी ने भारत के लोगों का मनमोह लिया है। करोड़ों लोग नदी के किनारे बसे हुए हैं। सदियों से नदी भारत की जमीन को सींचतीआई है। नदी जीवन धनी होती है इसीलिए भारत के लोग नदी को माता के रूप में मानते आ रहे हैं। भारत के लोग इस नदी में स्नान करके खुद को पवित्र मानते हैं।

२. गंगा नदी का उद्गम का वर्णन :

नदी उद्गम स्थल समुद्र तल से ३ हजार ९०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह स्थान ‘गोमुख’ कहलाता है। नदी हिमालय की चोटियों से’ भागीरथी’ और ‘अलकनंदा’ के रूप में निकलती हूँ।’ भागीरथी’ उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले में ‘गंगोत्री’ हिमनद से निकलती है और अलकनंदा नंदा देवी शिखर से। दोनों जलधाराएँ आकर देवप्रयाग में एक हो जाती हैं।

३. गंगा के रूप में अलकनंदा :

‘गंगा’ के रूप में आगे बढ़ती हैं। इसका उद्गम स्थल ‘गोमुख’ पर्वतराज हिमालय की चोटी पर स्थित है। गोमुख में इसकी धारा अत्यन्त क्षीण है। इतनी क्षीण जलधारा आगे बढ़ने पर महाजलराशि का रूप किस तरह धारण कर लेती है, इसे इस नदी पथ के साथ-साथ यात्रा करके भली-भाँति जान जाओगे।

४. नदी का प्रथम पड़ाव :

गोमुख से आगे बढ़ने पर नदी का प्रथम पड़ाव गंगोत्री है जो समुद्र तल से ३०५० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसकी धारा यहाँ पतली लेकिन बहुत तीव्र है। यहाँ जल भी बहुत ठंडा है। गंगोत्री से आगे बढ़ने पर नदी ‘हर्सिल’ नामक स्थान पर पहुँचती हूँ। यहाँ हिमालय की अनेक धाराएँ आकर मुझसे के संगम पर स्थित है। जहाँ नदी की धारा के बहते जल को रोक रखने के लिए प्रमुख टिहरी बाँध बनाया गया है।

५. गंगा नदी और अलकनंदा नदी का मिलन :

टिहरी से आगे बढ़ने पर देवप्रयाग नदी ‘अलकनंदा’ नदी से मिलती है। वास्तव में नदी को ‘गंगा’ नाम देवप्रयाग में ही मिला। इससे पहले इस नदी को ‘भागीरथी’ के नाम से जाना जाता है। इसी कारण देवप्रयाग का विशेष महत्व है।

अब विशाल चट्टानों के बीच से अठखेलियाँ करती हुई नदी अपनी अपार जलराशि के साथ लक्ष्मणशुला होते हुए ऋषिकेश पहुँचती हूँ। इसके पश्चात भारत के प्रमुख तीर्थस्थल हरिद्वार पहुँचने से पहले में सात धाराओं में बैट जाती हूँ। इस स्थान को ‘सप्त सरोवर’ के नाम से जाना जाता है। आगे जाने पर सातों धाराएँ पुनः एक होकर हरिद्वार पहुँचती है। हरिद्वार के समीप में मैदानी भाग में प्रवेश कर निरंतर दक्षिण पूर्व की ओर बढ़ती जाती हूँ।

६. गंगा नदी का यमुना तथा सरस्वती के साथ संगम :

हरिद्वार से चलने के बाद नदी आकार बढ़ जाता है किन्तु गति धीमी हो जाती है। हरिद्वार से नदी कनखल होती हुई गढ़मुक्तेश्वर पहुँचती हूँ। गढ़मुक्तेश्वर से आगे बढ़ने पर त्रिवेणी नामक स्थान पर ‘यमुना’ तथा ‘सरस्वती’ नदियों के साथ नदी का प्रसिद्ध संगम होता है। ‘सरस्वती’ की धारा धरती के नीचे ही नीचे आकर मिलती है और दिखाई नहीं देती। हम तीन नदियों के संगम पर ही प्रयाग नगर बसा हुआ है। प्रयाग को अब इलाहाबाद कहा जाता है।

७. नदी कशी पहुँचती है :

तीर्थनगरी काशी पहुँचती हूँ। काशी बहुत प्राचीन नगर है। इसे ‘वाराणसी’ तथा ‘बनारस’ नामों से भी जाना जाता है। काशी में नदी का किनारे असंख्य घाट है। लगातो हुई दक्षिण पूर्व में फरक्का पहुँचती हूँ। जी पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में है और यहीं से नदी पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती हूँ। इसी स्थान पर फरक्का बाँध है।

८. यहाँ से नदी भागीरथी के नाम से जानी जाती है :

यहाँ से नदी भागीरथी के नाम से आगे बढ़ती हुई हुगली शहर को छूती हुई फिर हुमलों के नाम से आगे बढ़ती, प्रसिद्ध शहर कोलकाता को निहारती हुई गंगासागर नामक स्थान पर बंगाल की खाड़ी में समाने से पहले नदी कई धाराओं में बँट जाती है और डेल्टा क्षेत्र का निर्माण करती है । जहाँ विश्वविख्यात ‘सुंदरवन’ है। यहाँ की मिट्टी दलदलों और नमकीन है। जहाँ तुम्हें विख्यात रायल बंगाल टाइगर ‘सफेद बाघ’, मगरमच्छ तथा हिरणों सहित तरह-तरह के जंगली पशु-पक्षियों की शरण स्थलियाँ देखने को मिलेंगी। नदी के जल में डॉलफिन मछलियों को उछल-कूद करते पाओगे विभिन्न प्रजातियों की अन्य मछलियाँ भी मिलती है। जिनमें ‘हिलसा’ नामक एक प्रसिद्ध मछली भी है।

गंगा नदी

९. गंगा नदी सागर में समा जाती है :

अपनी लम्बी यात्रा करते हुए अपनी सहायक नदियों के साथ गंगा नदी लगभग १० लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती हूँ। इसके पश्चात नदी बंगाल की खाड़ी में सागर में समा जाती हूँ। सागर में समाने से पूर्व मेरे दर्शन ‘गंगासागर’ के रूप में होते हैं। जहाँ कोलकाता का विद्यासागर सेतु ऐतिहासिक ‘गंगासागर’ मेला लगता है।

१. संक्षेप में उत्तर दो।

१.१. गोमुख कहाँ स्थित है ?

उत्तर :नदी का उद्गम स्थल समुद्र तल से ३ हजार ९०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह स्थान ‘गोमुख’ कहलाता है।

१.२. अलकनंदा किस हिमशिखर से निकलती है ?

उत्तर :अलकनंदा हिमालय  हिमशिखरसे निकलती है।

१.३. गंगोत्री की ऊँचाई समुद्रतल से कितनी है? 

उत्तर : गंगोत्री की ऊंचाई समुद्र तल से 3900 मीटर ऊंची है ।

१.४. सप्त सरोवर स्थान किससे पहले है?

उत्तर :इसके पश्चात भारत के प्रमुख तीर्थस्थल हरिद्वार पहुँचने से पहले में सात धाराओं में बैट जाती हूँ। इस स्थान को ‘सप्त सरोवर’ के नाम से जाना जाता है।

१.५. तीर्थ नगरी किसे कहते हैं?

उत्तर :तीर्थनगरी काशी को कहते हैं ।

१.६. सोन नदी गंगा में कहाँ आकर मिलती है?

उत्तर : बिहार के पटना जिले में गंगा नदी से मिलती है  ।

२. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखो।

२.१. गंगा का उद्गम स्थल कहां  है ?

उत्तर : मेरा उद्गम स्थल समुद्र तल से ३ हजार ९०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह स्थान ‘गोमुख’ कहलाता है।

२.२. ‘देवप्रयाग’ का विशेष महत्व क्यों है ?

उत्तर : वास्तव में मुझे ‘गंगा’ नाम देवप्रयाग में ही मिला। इससे पहले मुझे ‘भागीरथी’ के नाम से जाना जाता है। इसी कारण देवप्रयाग का विशेष महत्व है।

२.३. ‘त्रिवेणी’ नामक स्थान क्यों प्रसिद्ध है ?

उत्तर :गढ़मुक्तेश्वर से आगे बढ़ने पर त्रिवेणी नामक स्थान पर ‘यमुना’ तथा ‘सरस्वती’ नदियों के साथ गंगा का  प्रसिद्ध संगम होता है। 

२.४. गंगा की दो सहायक नदियों का नाम लिखो ?

उत्तर :यमुना,सोन नदी, गंगा की सहायक नदियां है। 

२.५. नदी हमारा कौन-कौन सा उपकार करती है? 

उत्तर :नदी से हमें जल प्राप्त होता है जल हमारा जीवन है,नदी का जल ,पीने ,समझीनहाने कपड़े धोने आदि का काम आता है। कृषि कार्य में नदी महान भूमिका निभाती है।

३. दिए गए शब्दों से सही शब्द चुनकर खाली स्थानों को भरो।

३.१. भारत के लोग मुझे सबसे अधिक पवित्र नदी मानते हैं।

३.२. मेरा उद्गम स्थल गोमुख कहलाता है।

३.३. गोमुख पर्वतराजहिमालय की चोटी पर स्थित है।

३.४. मेरा अगला गंगनानी पड़ाव है।सामने

४. सही उत्तर के बगल में (√) का निशान लगाओ।

४.१. भारत की सबसे पवित्र नदी कौन-सी मानी जाती है? यमुना गंगा, नर्मदा, सरस्वती

                                                                                                                   

४.२. गोमुख के बाद गंगा का पहला पड़ाव कहाँ है? – उत्तरकाशी, हर्सिल, ऋषिकेश, गंगोत्री

                                                                                      

४.३. भागीरथी को गंगा नाम कहाँ मिला ? – गढ़मुक्तेश्वर में ,देवप्रयाग में ,गंगनानी में टिहरी में

                                                                               

४.४. गंगासागर मेला लगने वाले स्थान का क्या नाम है?- हरिद्वार, प्रयाग, गंगासागर पटना




 

मीठे पानी की नदी 

अमेरिका में नेब्रास्का नदी का पानी बहुत मीठा है। इतना मीठा कि यह एक गिलास से ज्यादा पीया नहीं जा सकता। पानी में नींबू डालकर आसानी से शरबत बनाया जा सकता है ।

स्याही की नदी –अल्जीरिया की एक नदी का पानी नीले रंग का है सदा इसी रंग में रहता है इस पानी के नीले रंय का कारण है कि पानी में लेड आफ्साइड और औह लक्षण मिला है।इस नदी के पानी से लिखने का काम लिया जाता है। इसलिए इसको स्याही को नदी कहा जाता है।

खट्टे पानी की नदी

चिली और अर्जेन्टीना की सीमा रेखा के रूप में एक ऐसी नदी बहती है जिसके पानी का स्वाद चखने पर ताजे नींबू के पानी जैसा है। इस नदी का नाम राई ओडविनारी है इसके पानी को यहाँ के लोग शरबत बना के पीते हैं।

उत्तर :मेरा उद्गम स्थल समुद्र तल से ३ हजार ९०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह स्थान ‘गोमुख’ कहलाता है।

उत्तर : वास्तव में मुझे ‘गंगा’ नाम देवप्रयाग में ही मिला। इससे पहले मुझे ‘भागीरथी’ के नाम से जाना जाता है। इसी कारण देवप्रयाग का विशेष महत्व है।

उत्तर :गढ़मुक्तेश्वर से आगे बढ़ने पर त्रिवेणी नामक स्थान पर ‘यमुना’ तथा ‘सरस्वती’ नदियों के साथ गंगा का  प्रसिद्ध संगम होता है। 

उत्तर :यमुना,सोन नदी, गंगा की सहायक नदियां है। 

उत्तर :नदी से हमें जल प्राप्त होता है जल हमारा जीवन है,नदी का जल ,पीने ,समझीनहाने कपड़े धोने आदि का काम आता है। कृषि कार्य में नदी महान भूमिका निभाती है।

उत्तर :भारत में निम्नलिखित नदियां पाई जाती है।  इनमें से कुछ प्रमुख नदियां है जैसे गंगा जमुना सरस्वती और गोदावरी आदि।  किन नदियों के जल से ही खेतों की सिंचाई होती है।  जिससे संपूर्ण भारतवर्ष का पालन पोषण होता है । और भारत के लोगों को अमृत समान जल पीने को मिलता है।  इसलिए भारत के लोग नदियों को माता कहते हैं  ।   

उत्तर : सुंदरवन भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है।

उत्तर :नदिया निम्नलिखित कारणों से दूषित हो रही है था ।कल कारखाना से निकलने वाला केमिकल,कारखाना से निकलने वाला गंदा पानी,मरे हुए जानवर, कूड़ा कचरा और वर्ज्य पदार्थ आदि ।

notice :एक नदी की कहानी गंगा class  3 पाठ्य पुस्तक से ली गई   है। इस article  लिखने के लिए हमने west  bengal  sylabus  के पाठबहार  पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना  है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में  हमारी मदद करे। 

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