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Toggleसूरदास के पद
लैहाँ री माँ चंद लहौंगौ।
कहा करौ जल-पुट भीतर कौ बाहर व्योंकि गहींगौ।
यह तौ झलमलात झकझोरत कैसे कै जु चहाँगौ।
वह तौ निपट निकट ही दीखत करज्यों हौं न रहौंगी।
तुम्हरौ प्रेम प्रगट मैं जानत बौराए न बहौंगी।
भसूरस्याम कहै कर गहि ल्याउँ ससि-तन ताप दहीँगौ ।।
सूरदास के पद का व्याख्या
इस पद में शिशु कृष्ण चन्द्रमा को पकड़ने की ज़िद कर रहे हैं। वे माता यशोदा से कहते हैं –
“माँ, मैं उछलकर चाँद ले आऊँगा। उसे जल के भीतर या बाहर कहीं छिपा लूँगा। वह तो आकाश में झिलमिलाता झकझोरता है, मैं कैसे न पकड़ पाऊँगा? वह तो बिल्कुल पास ही दिखता है। यदि मैं चाँद न लाऊँ तो रह ही न सकूँगा। तुम मुझ पर विश्वास करो। मैं अपने प्रेम के बल पर यह कार्य अवश्य करूँगा।”
👉 इस पद में बाल-कृष्ण की चपलता, भोलेपन और बाल्य लीला का सजीव चित्रण है।
देखो माई या बालक की बात।
बन-उपबन सरिता सर मोहे देखत स्यामल गात ।
मारग चलत अनीति करत है हठ करि माखन खात।
पीतांबर वह सिर तैं ओढ़त अंचल दै मुसकात ।
तेरौ साँ कह कहाँ जसोदा उरहन देति लजात।
जब हरि आवत तेरे आगै सकुचि तनक है जात।
कौन कौन गुन कहूँ स्याम के नैकु न काहु डारत।
सूर स्याम मुख निरखि जसोदा कहति कहा यह बात ।।
सूरदास के पद का व्याख्या
इस पद में गोकुल की गोपियाँ माता यशोदा से शिकायत करती हैं –
“देखो माई, तुम्हारा यह बालक कितना शरारती है। कभी वन-उपवन और नदी किनारे खेलता है, कभी मार्ग में चलते लोगों से अनीति करता है और हठ करके मक्खन चुरा-चुरा कर खाता है। जब हम डाँटते हैं तो मुस्कराकर पीताम्बर से सिर ढक लेता है। तुम्हारा उरहन (कर्ज़) कौन चुकाएगा? जब भी हम शिकायत लेकर तुम्हारे पास आते हैं तो लज्जा के मारे सकुचाकर भाग जाता है। माँ, उसके दोष गिनाना कठिन है, क्योंकि वह अपनी मोहक मुस्कान से सबको जीत लेता है।”
👉 यहाँ सूरदास ने बालकृष्ण की बाल-लीलाओं और उनकी मोहक छवि का मनोरम वर्णन किया है।
मुरली तऊ गुपालहिं भावति।
सुनि री सखी जदपि नंदलालहिं नाना भाँति नचावति ।
राखति एक पाइ ठाढ़ौ करि अति अधिकार जनावति।
कोमल तन आज्ञा करवावति कटि टेढ़ी है आवति।
अति आधीन सुजान कनौड़े गिरिधर नार नवावति ।
आपुन पौढ़ि अधर-सज्जा कर पल्लब सन पद पलुटावति ।
भृकुटी कुटिल नैन नासा-पुट हम पर कोप कुपावति
सूर प्रसन्न जानि इक पल नहिं अधर तैं सीस डुलावति ।।
सूरदास के पद का व्याख्या
इस पद में गोपियाँ सखी से कहती हैं –
“सखी! यह मुरली भी ग्वालबालों को बहुत भाती है। नंदलाल इसे अनेक प्रकार से नचाते हैं। वे एक पैर पर खड़े होकर अधिकार जताते हैं, कोमल शरीर को टेढ़ा करके वादन करते हैं। उनके सुकोमल हाथ मुरली बजाते हुए मानो आज्ञा दिलवाते हैं। वे कटि टेढ़ी करके मुस्कराते हैं। कभी तो होंठों पर सजाकर मुरली को चूमते हैं और पद-पल्लवों से ताल मिलाते हैं। उनकी टेढ़ी भौंहें, कुटिल दृष्टि और नासिका का फड़कना मानो हम पर रुष्ट होने का संकेत देता है। किंतु जब प्रसन्न होते हैं तो मुरली को होंठों से अलग नहीं करते।”
👉 यह पद कृष्ण की मुरली लीला का चित्रण करता है।
ऊधौ, धनि तुम्हरौ व्यवहार।
धनि वै ठाकुर धनि वै सेवक, धनि तुम बर्तनहार।
आमहिं काटि बबूर लगावन, चंदन कौं कुशबार।
हमकों जोग, भोग कुबजा-कौं, ऐसी समझ तुम्हार।
तुम हरि, पढ़े चातुरी-विद्या, निपट कपट चटसार।
पकरत साहु , चोर काँ छॉड़त, चुगलनि कौ एतबार ।
समुझि न परत तिहारी ऊधौं, हम ब्रजनारि गँवार।
सूरदास कैसे निबहैगी अंधधुंध सरकार ।।
सूरदास के पद का व्याख्या
इस पद में गोपियाँ उद्धव से कहती हैं –
“हे उद्धव! तुम्हारा व्यवहार बड़ा अजीब है। काँटे काटकर बबूल लगाते हो और चन्दन को खरपतवार मानते हो। तुम हमें योग-साधना का उपदेश देते हो, मानो हम कुब्जा जैसी भोगिनी स्त्रियाँ हों। हरि ने कपट विद्या सीखी है। वे पराई स्त्रियों पर विश्वास करते हैं, पर हम ब्रज की गोपियों को छलते हैं। हम गँवार स्त्रियाँ हैं, तुम्हारी नीति नहीं समझ पातीं। सूरदास कहते हैं – ऐसी अंधी सरकार में ब्रज की नारी कैसे जीवन बिताएगी?”
👉 इसमें गोपियों की कृष्ण के प्रति विरह-व्यथा और उद्धव-नीति पर व्यंग्य है।
बिनु गुपाल बैरिनि भई कुंजैं।
तब ये लता लगतिं अति सीतल, अब भइँ विषम ज्वाल की पुंजें।
वृथा बहति जमुना, खग बोलत, वृथा कमल फूलैं, अलि गुंजै।
पवन, पानि, धनसार, सजीवन, दधिसुत-किरन भानु भइ भुजै।
ए ऊधौ ! कहियो माधौ सौं, मदन मारि कीन्ही हम लुंजै।
सूरदास प्रभु कौ मग जोवत, अँखियाँ भइँ बरन ज्यौं गुंजें ।।
सूरदास के पद का व्याख्या
यहाँ गोपियाँ उद्धव से कहती हैं –
“गोपाल के बिना ये वन-कुंज हमारे लिए बैरी (शत्रु) हो गए हैं। पहले ये लताएँ शीतल लगती थीं, अब अग्नि के पुंज समान जलाती हैं। यमुना व्यर्थ बहती है, पक्षियों का गान व्यर्थ है, कमल खिलना और मधुमक्खियों का गुंजन भी व्यर्थ हो गया है। जल, वायु, धन, अनाज सब व्यर्थ हो गया है। हे उद्धव! माधव से कह देना कि कामदेव ने हमें जला डाला है। सूरदास कहते हैं – प्रभु के मार्ग की प्रतीक्षा करती हुई गोपियों की आँखें मानो बरन वृक्ष (गुंजा) के समान लाल हो गई हैं।”
👉 यह पद गोपियों की गहन विरह-व्यथा और कृष्ण-वियोग का हृदयस्पर्शी चित्र है।
सूरदास के पद का MCQs प्रश्नोत्तरी
कवि परिचय आधारित प्रश्न
1. सूरदास का जन्म कब हुआ था?
(a) 1478 ई.
(b) 1450 ई.
(c) 1550 ई.
(d) 1600 ई.
✔ उत्तर: (a) 1478 ई.
2. सूरदास का जन्म स्थान कौन-सा माना जाता है?
(a) गोकुल
(b) रुनकता
(c) ब्रज
(d) काशी
✔ उत्तर: (b) रुनकता
3. कुछ लोगों के अनुसार सूरदास का जन्म कहाँ हुआ था?
(a) सौही ग्राम
(b) वृंदावन
(c) काशी
(d) दिल्ली
✔ उत्तर: (a) सौही ग्राम
4. सूरदास के पिता का नाम क्या था?
(a) वल्लभाचार्य
(b) रामदास सारस्वत
(c) श्रीधर
(d) नंददास
✔ उत्तर: (b) रामदास सारस्वत
5. सूरदास किस रस के सम्राट माने जाते हैं?
(a) श्रृंगार रस
(b) करुण रस
(c) वात्सल्य रस
(d) वीर रस
✔ उत्तर: (c) वात्सल्य रस
6. सूरदास को किस आचार्य ने पुष्टिमार्ग में दीक्षित किया?
(a) रामानुजाचार्य
(b) चैतन्य महाप्रभु
(c) वल्लभाचार्य
(d) मध्वाचार्य
✔ उत्तर: (c) वल्लभाचार्य
7. सूरदास ने मुख्यतः किसकी लीलाओं का वर्णन किया है?
(a) राम
(b) शिव
(c) कृष्ण
(d) विष्णु
✔ उत्तर: (c) कृष्ण
8. सूरदास द्वारा रचित पदों की संख्या लगभग कितनी मानी जाती है?
(a) 50,000
(b) 75,000
(c) 1,25,000 (सवा लाख)
(d) 10,000
✔ उत्तर: (c) 1,25,000
9. सूरदास के प्रसिद्ध ग्रंथ का नाम क्या है?
(a) रामचरितमानस
(b) सूरसागर
(c) गोवर्धन लीला
(d) साहित्य-लहरी
✔ उत्तर: (b) सूरसागर
10. सूरदास की मृत्यु कब हुई थी?
(a) 1600 ई.
(b) 1580 ई.
(c) 1556 ई.
(d) 1610 ई.
✔ उत्तर: (b) 1580 ई.
पद आधारित प्रश्न
11. किस पद में बालकृष्ण चाँद पकड़ने की जिद कर रहे हैं?
(a) देखो माई या बालक की बात
(b) उछलकर लैहाँ री माँ चंद लहौंगौ
(c) मुरली तऊ गुपालहिं भावति
(d) बिनु गुपाल बैरिनि भई कुंजैं
✔ उत्तर: (b) उछलकर लैहाँ री माँ चंद लहौंगौ
12. “उछलकर लैहाँ री माँ चंद लहौंगौ” पद में कृष्ण किससे बात कर रहे हैं?
(a) सखी से
(b) गोपियों से
(c) माता यशोदा से
(d) उद्धव से
✔ उत्तर: (c) माता यशोदा से
13. ‘देखो माई या बालक की बात’ पद में कौन शिकायत करता है?
(a) गोपियाँ
(b) उद्धव
(c) नंद बाबा
(d) रुक्मिणी
✔ उत्तर: (a) गोपियाँ
14. “मारग चलत अनीति करत है हठ करि माखन खात” – यहाँ किसकी शरारत का वर्णन है?
(a) बलराम
(b) कृष्ण
(c) उद्धव
(d) अर्जुन
✔ उत्तर: (b) कृष्ण
15. “मुरली तऊ गुपालहिं भावति” पद में किस वस्तु का वर्णन है?
(a) ग्वालबाल
(b) बांसुरी (मुरली)
(c) गोपियाँ
(d) गायें
✔ उत्तर: (b) बांसुरी (मुरली)
16. “राखति एक पाइ ठाढ़ौ करि अति अधिकार जनावति” – यहाँ कृष्ण किस प्रकार चित्रित हैं?
(a) वीर रूप में
(b) मुरली बजाते हुए
(c) गाय चराते हुए
(d) युद्ध करते हुए
✔ उत्तर: (b) मुरली बजाते हुए
17. “ऊधौ, धनि तुम्हरौ व्यवहार” किससे कहा गया है?
(a) अर्जुन से
(b) उद्धव से
(c) बलराम से
(d) नंद बाबा से
✔ उत्तर: (b) उद्धव से
18. ‘ऊधौ, धनि तुम्हरौ व्यवहार’ पद में गोपियाँ किस बात पर व्यंग्य करती हैं?
(a) युद्ध नीति पर
(b) योग और ज्ञान पर
(c) गाय चराने पर
(d) गोकुल छोड़ने पर
✔ उत्तर: (b) योग और ज्ञान पर
19. “बिनु गुपाल बैरिनि भई कुंजैं” पद में किसकी विरह-व्यथा है?
(a) माता यशोदा की
(b) नंद बाबा की
(c) गोपियों की
(d) बलराम की
✔ उत्तर: (c) गोपियों की
20. “वृथा बहति जमुना, खग बोलत, वृथा कमल फूलैं” – यह पंक्ति किस स्थिति को दर्शाती है?
(a) कृष्ण की बाल लीलाएँ
(b) कृष्ण के वियोग का दुख
(c) गोकुल का हर्ष
(d) युद्ध का दृश्य
✔ उत्तर: (b) कृष्ण के वियोग का दुख
विविध प्रश्न
21. सूरदास किस काल के कवि थे?
(a) आदिकाल
(b) भक्ति काल
(c) रीतिकाल
(d) आधुनिक काल
✔ उत्तर: (b) भक्ति काल
22. सूरदास किस भाषा में काव्य रचते थे?
(a) अवधी
(b) ब्रजभाषा
(c) खड़ी बोली
(d) मैथिली
✔ उत्तर: (b) ब्रजभाषा
23. सूरदास किस संप्रदाय से जुड़े थे?
(a) रामानुज संप्रदाय
(b) वल्लभ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग)
(c) गौड़ीय संप्रदाय
(d) नाथ संप्रदाय
✔ उत्तर: (b) वल्लभ संप्रदाय
24. सूरदास का गुरु कौन था?
(a) तुलसीदास
(b) वल्लभाचार्य
(c) नंददास
(d) मीराबाई
✔ उत्तर: (b) वल्लभाचार्य
25. सूरदास को किस उपाधि से सम्मानित किया जाता है?
(a) रसखान
(b) भक्त शिरोमणि
(c) महाकवि
(d) कविराज
✔ उत्तर: (b) भक्त शिरोमणि
26. सूरदास जी को किस रस का शिरोमणि कहा जाता है?
(a) श्रृंगार रस
(b) वात्सल्य रस
(c) वीर रस
(d) करुण रस
✔ उत्तर: (b) वात्सल्य रस
27. सूरदास किस सम्राट अकबर के समकालीन थे?
(a) बाबर
(b) हुमायूँ
(c) अकबर
(d) जहाँगीर
✔ उत्तर: (c) अकबर
28. सूरदास किस साहित्यिक धारा से संबंधित हैं?
(a) भक्तिकालीन कृष्ण भक्ति धारा
(b) वीरगाथा काव्य
(c) रीतिकालीन श्रृंगार धारा
(d) आधुनिक प्रगतिवादी धारा
✔ उत्तर: (a) भक्तिकालीन कृष्ण भक्ति धारा
29. सूरदास किस भाषा-शैली में पद रचते थे?
(a) खड़ी बोली गद्य
(b) ब्रजभाषा पद्य
(c) अवधी गद्य
(d) उर्दू कविता
✔ उत्तर: (b) ब्रजभाषा पद्य
30. सूरदास जी की मृत्यु कहाँ हुई थी?
(a) वृंदावन
(b) गोकुल
(c) पारसौली ग्राम (गोवर्धन के पास)
(d) काशी
✔ उत्तर: (c) पारसौली ग्राम (गोवर्धन के पास)
31. सूरदास के पद मुख्यतः किस भाव पर आधारित हैं?
(a) देशभक्ति
(b) भक्ति व वात्सल्य
(c) युद्ध और वीरता
(d) करुणा और दया
✔ उत्तर: (b) भक्ति व वात्सल्य
32. “सूरसागर” किसका प्रसिद्ध ग्रंथ है?
(a) तुलसीदास
(b) सूरदास
(c) मीराबाई
(d) रसखान
✔ उत्तर: (b) सूरदास
33. सूरदास का साहित्य मुख्यतः किस देवता पर केंद्रित है?
(a) राम
(b) विष्णु
(c) कृष्ण
(d) शिव
✔ उत्तर: (c) कृष्ण
34. सूरदास जी ने अपनी रचनाओं में मुख्यतः किन लीलाओं का वर्णन किया है?
(a) राम जन्म
(b) कृष्ण बाल लीला
(c) अर्जुन वीरता
(d) शिव विवाह
✔ उत्तर: (b) कृष्ण बाल लीला
35. “देखो माई या बालक की बात” पद में कृष्ण की कौन-सी छवि चित्रित है?
(a) वीर योद्धा
(b) शरारती बालक
(c) योगी
(d) प्रेमी
✔ उत्तर: (b) शरारती बालक
36. किस पद में गोपियाँ कृष्ण की मुरली का वर्णन करती हैं?
(a) उछलकर लैहाँ री माँ
(b) मुरली तऊ गुपालहिं भावति
(c) ऊधौ, धनि तुम्हरौ व्यवहार
(d) बिनु गुपाल बैरिनि भई कुंजैं
✔ उत्तर: (b) मुरली तऊ गुपालहिं भावति
37. “ऊधौ, धनि तुम्हरौ व्यवहार” पद में गोपियाँ किससे खिन्न हैं?
(a) बलराम से
(b) उद्धव से
(c) कृष्ण से
(d) नंद बाबा से
✔ उत्तर: (b) उद्धव से
38. “बिनु गुपाल बैरिनि भई कुंजैं” किस भाव का चित्रण है?
(a) श्रृंगार
(b) वात्सल्य
(c) वियोग
(d) वीर
✔ उत्तर: (c) वियोग
39. सूरदास किस शैली के गायक भी माने जाते हैं?
(a) ध्रुपद
(b) ठुमरी
(c) ख्याल
(d) दादरा
✔ उत्तर: (a) ध्रुपद
40. सूरदास किसके समकालीन भक्त कवि नहीं थे?
(a) तुलसीदास
(b) मीराबाई
(c) कबीरदास
(d) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
✔ उत्तर: (d) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
41. सूरदास जी को किस नाम से भी संबोधित किया जाता है?
(a) सूरश्याम
(b) सूरकुटी
(c) सूरसम्राट
(d) सूरदास महाप्रभु
✔ उत्तर: (a) सूरश्याम (मंदिर नाम से प्रसिद्ध)
42. सूरदास के ग्रंथों की संख्या कितनी मानी जाती है?
(a) 10
(b) 25
(c) 50
(d) 5
✔ उत्तर: (b) 25
43. सूरदास जी के ग्रंथ “साहित्य-लहरी” का मुख्य विषय क्या है?
(a) नीतिशास्त्र
(b) भक्ति
(c) व्याकरण
(d) राजनीति
✔ उत्तर: (b) भक्ति
44. सूरदास की प्रसिद्ध रचना ‘नागलीला’ में क्या वर्णित है?
(a) कालिया दमन
(b) नागपंचमी
(c) नागलोक यात्रा
(d) समुद्र मंथन
✔ उत्तर: (a) कालिया दमन
45. “काशी नागरी प्रचारिणी सभा” किस कवि के ग्रंथों की खोज से संबंधित है?
(a) तुलसीदास
(b) सूरदास
(c) रसखान
(d) रहीम
✔ उत्तर: (b) सूरदास
46. सूरदास जी ने अपनी रचनाओं में किस भाषा का सौंदर्य दिखाया?
(a) संस्कृत
(b) ब्रजभाषा
(c) अवधी
(d) खड़ी बोली
✔ उत्तर: (b) ब्रजभाषा
47. सूरदास की भक्ति का स्वरूप क्या था?
(a) ज्ञानमार्गी
(b) कर्मयोगी
(c) सगुण भक्ति (कृष्ण भक्त)
(d) निर्गुण भक्ति
✔ उत्तर: (c) सगुण भक्ति (कृष्ण भक्त)
48. “सूरदास प्रभु कौ मग जोवत, अँखियाँ भइँ बरन ज्यौं गुंजें” – यहाँ क्या व्यक्त किया गया है?
(a) युद्ध की छवि
(b) प्रेम की गहराई
(c) वियोग की व्याकुलता
(d) वात्सल्य का भाव
✔ उत्तर: (c) वियोग की व्याकुलता
49. सूरदास की भाषा की विशेषता क्या है?
(a) संस्कृतनिष्ठ
(b) बोलचाल की ब्रजभाषा
(c) फ़ारसी मिश्रित
(d) खड़ी बोली प्रधान
✔ उत्तर: (b) बोलचाल की ब्रजभाषा
50. सूरदास की काव्य रचनाओं में मुख्य आकर्षण क्या है?
(a) वीरता और साहस
(b) भक्ति और वात्सल्य
(c) राजनीति और समाज
(d) दर्शन और नीतिशास्त्र
✔ उत्तर: (b) भक्ति और वात्सल्य
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