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नई नारी सुब्रह्मण्य भारती ki kavita

- सी. सुब्रह्मण्य भारती

(1)और वह गौरवान्वित है अपनी विद्या की दीप्ति से। ऐसी स्त्रियाँ स्थिरमति वाली होती हैं और वे कभी चकाचौंध में राह नहीं भूल सकतीं। अज्ञान के घन अंधकार में भटक जाना उन्हें कतई स्वीकार नहीं।

संदर्भ:

इस पंक्ति में स्त्री के आत्मगौरव और ज्ञान की महत्ता को प्रस्तुत किया गया है। वे अज्ञानता के अंधकार में भटकना पसंद नहीं करतीं और सच्चाई के मार्ग पर डटी रहती हैं।

प्रसंग:

यह पंक्ति स्त्रियों की शिक्षा और उनकी स्थिर बुद्धि को सम्मानित करती है। यहाँ पर ज्ञान की शक्ति और आत्म-सम्मान के साथ जीवन जीने का महत्त्व बताया गया है। इस पंक्ति के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि सच्चा ज्ञान हमें सही दिशा में चलने की प्रेरणा देता है और किसी भी भ्रम में नहीं फँसने देता।

व्याख्या:

इस पंक्ति का भाव यह है कि शिक्षित और ज्ञानवान स्त्रियाँ अपनी विद्या पर गर्व करती हैं, और वे अपने जीवन के हर पहलू में स्थिर बुद्धि से काम लेती हैं। चकाचौंध और बाहरी आकर्षण उन्हें विचलित नहीं कर सकते, क्योंकि उनका उद्देश्य स्पष्ट और दृढ़ होता है। ऐसी स्त्रियाँ कभी भी अज्ञानता के घने अंधकार में नहीं भटकतीं, क्योंकि ज्ञान का प्रकाश उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन देता है।

इन पंक्तियों में स्त्री के आत्मसम्मान, उसके ज्ञान की शक्ति, और आत्मनिर्भरता की बात की गई है। यह दर्शाता है कि विद्या प्राप्त करना और उसका सही उपयोग करना ही वास्तविक गौरव है। यह पंक्तियाँ उन सभी स्त्रियों को प्रेरणा देती हैं जो अपनी शिक्षा के बल पर आत्मनिर्भर और अडिग बनी हुई हैं।

(2)संस्कृति विहीन जीवन को वे हिकारत से नामंजूर कर देती है। वे अनेकानेक शास्त्रों का अध्ययन करेंगी, जीवन में और भी सुखों सुविधाओं को लाएँगी, युगों पुरानी मिथ्या परम्पराओं को वे हटाएँगी, और सभी अंधविश्वासों को तोड़ फेंकेंगी, हर मानव गतिविधि का वे ध्यान रखेंगी ताकि सभी देव तुल्य बन सकें। वे पुरुषों की प्रशंसा को जीत लेंगी।

संदर्भ:इस पंक्ति में उन स्त्रियों की विशेषता और दृष्टिकोण का वर्णन है जो संस्कृति और शिक्षा से संपन्न हैं। ऐसी स्त्रियाँ एक स्वस्थ समाज के निर्माण में सक्रिय योगदान करती हैं। वे न केवल स्वयं को शिक्षित करती हैं बल्कि समाज को भी उन्नति की ओर ले जाने का कार्य करती हैं। अंधविश्वासों और मिथ्या परंपराओं के खिलाफ वे दृढ़ होकर खड़ी होती हैं और चाहती हैं कि हर व्यक्ति देव-तुल्य बने।

प्रसंग: इस पंक्ति में उन स्त्रियों की महत्ता बताई गई है जो न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के सुधार के लिए प्रयत्नशील रहती हैं। वे अज्ञानता और अंधविश्वास को समाप्त कर संस्कृति को एक नई दिशा देने का संकल्प लेती हैं। इन स्त्रियों के योगदान से समाज में एक नई चेतना का संचार होता है, जो सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

व्याख्या: कवि ने यहाँ उन स्त्रियों का वर्णन किया है जो संस्कृति-विहीन जीवन को पूरी तरह से अस्वीकार करती हैं। वे अपने ज्ञान के विस्तार के लिए शास्त्रों का अध्ययन करती हैं और जीवन में सुख-सुविधाओं को लाती हैं, ताकि समाज में सकारात्मक परिवर्तन आए। ऐसी स्त्रियाँ युगों पुरानी मिथ्या परंपराओं और अंधविश्वासों को दूर करने के लिए कृतसंकल्प रहती हैं। वे समाज की हर गतिविधि पर ध्यान देती हैं ताकि हर व्यक्ति के अंदर ईश्वरतुल्य गुण विकसित हो सकें।

कवि का मानना है कि इन गुणों के कारण ये स्त्रियाँ पुरुषों की प्रशंसा और सम्मान अर्जित करती हैं। यह पंक्ति एक सशक्त नारी का प्रतीक है, जो ज्ञान, समझ और दृढ़ निश्चय से समाज में परिवर्तन लाने का कार्य करती है। ये पंक्तियाँ स्त्रियों को प्रोत्साहित करती हैं कि वे संस्कृति, शिक्षा, और सतर्कता के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दें और स्वयं को एक आदर्श रूप में प्रस्तुत करें।

नई नारी कविता का वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

(1) नई नारी किस चाल से चलती है?

उत्तर :-सादगी भरी

(2) नई नारी कविता के रचयिता है –

उत्तर :-सुब्रह्मण्य भारती

(3) नई नारी किससे गौरवान्वित है?

उत्तर:-विद्या की दीप्ति से

(4) नई नारी को कहाँ भटकना स्वीकार नहीं है?

उत्तर :-अज्ञान के अंधेरे में

नई नारी कविता का लघुत्तरीय प्रश्न:

(1) नई नारी को क्या स्वीकार नहीं है?

उत्तर :-नई नारी को संस्कृति-विहीन जीवन स्वीकार नहीं है।

उत्तर :-नई नारी अनेकानेक शास्त्रों का अध्ययन करेंगी।

उत्तर :-कवि मिथ्या परंपराओं और अंधविश्वासों को तोड़ने और हटाने की कामना करता है।

उत्तर :- नई नारी निर्भीक इसलिए है क्योंकि वह शिक्षित है और अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक है।

नई नारी कविता का बोधमुल्क प्रश्न:

(1) कवि सुब्रह्मण्य भारती ने नई नारी में किन-किन गुणों की कल्पना की है?

उत्तर :-कवि सुब्रह्मण्य भारती ने नई नारी में आत्मविश्वास, विद्वता, दृढ़ता, और संस्कृति की समझ जैसे गुणों की कल्पना की है। उन्होंने एक ऐसी नारी की कल्पना की है जो समाज में सुधार और परिवर्तन लाने के लिए संकल्पित है, जो मिथ्या परंपराओं को अस्वीकार करती है, और हर गतिविधि में अपनी सक्रियता बनाए रखती है।

उत्तर :-“वे कभी चकाचौंध में राह नहीं भूल सकती” का आशय यह है कि नई नारी दिखावे और बाहरी आकर्षण से प्रभावित होकर अपनी सच्ची राह से नहीं भटकेगी। वह अपनी संस्कृति, ज्ञान, और मूल्यों में इतनी स्थिर है कि किसी भी प्रकार का भ्रम उसे विचलित नहीं कर सकता।

उत्तर :-नई नारी के विकास के मार्ग में रूढ़िवादी परंपराएँ, अंधविश्वास, और सामाजिक असमानता जैसी बाधाएँ हैं। वह इन बाधाओं को शिक्षा, आत्मनिर्भरता, और जागरूकता के माध्यम से दूर कर सकती है। अपनी संस्कृति और शिक्षा के प्रति समर्पण से वह समाज को नई दिशा देने का काम कर सकती है।

notice : नई नारी class -8 की कविता है। इस article लिखने के लिए हमने west bengal sylabus के सहित्य मेला पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में हमारी मदद करे।

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