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बचपन में छोटी थी पर मैं,
बड़े वेग से बहती थी।
आँधी-तूफान, बाढ़-बवंडर,
सब कुछ हँसकर सहती थी।
मैदानों में आकर मैंने,
सेवा का संकल्प लिया।
और बना जैसे भी मुझसे,
मानव का उपकार किया।
अंत समय में बचा शेष जो,
सागर को उपहार दिया।
सब कुछ अर्पित करके अपने,
जीवन को साकार किया।
बच्चों शिक्षा लेकर मुझसे, मेरे जैसे हो जाओ।
सेवा और समर्पण से तुम, जीवन बगिया महकाओ।
१. नदी कविता के आधार पर खाली स्थानों को भरो।
१.१ नदी निकलती है पर्वत से,
मैदानों में बहती है।
और अंत में मिल सागर से,
एक कहानी कहती है।
२. नदी कविता के प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दो।
२.१. नदी कहते ही तुम्हें कौन सी नदी का नाम याद आता है ?
उत्तर :नदी कहते ही हमे गंगा, यमुना ,सरस्वती का नाम याद आता है।
२.२. कविता की नदी कहाँ से निकल रही है?
उत्तर : कविता की नदी पर्वत से निकलती है ।
२.३. कविता की नदी अंत में जाकर किससे मिलती है?
उत्तर: कविता की नदी अंत में जाकर सागर से मिलती है।
२.४. बचपन की नदी का वेग कैसा था ?
उत्तर :बचपन में नदी का वेग बड़ा था।
२.५. नदी से कौन सा संकल्प किया?
उत्तर :नदी ने सेवा का संकल्प लिया ।
२.६. नदी ने किसका उपकार किया?
उत्तर : नदी ने मानव का उपाय किया ।
२.७. नदी ने क्या करके अपना जीवन साकार किया?
उत्तर :नदी ने सब कुछ अर्पित करके अपना जीवन सरकार किया।
२.८. नदी हमें कौन सी शिक्षा देती है?
उत्तर :नदी हमें सेवा और समर्पण करने की शिक्षा देती
३. नदी कविता का question /ans
३.१. नदी कहाँ से निकलकर कहाँ मिल जाती है?
उत्तर :नदी पर्वत से निकलकर सागर में मिलती है।
३.२. बचपन में नदी की धारा कैसी थी ?
उत्तर :बचपन में नदी की धारा बड़ी थी ।
३.३. कहाँ आने के बाद नदी ने सेवा का संकल्प लिया ?
उत्तर :मैदाने में आने के बाद नदी ने सेवा का संकल्प लिया ।
३.४. नदी अपने जीवन के अंत में क्या करती है?
उत्तर : नदी अपने जीवन के अंत में सागर को उपहार देता है ।
३.५. नदी के जीवन से हमें कौन सी शिक्षा मिलती है?
उत्तर :नदी के जीवन से हमें सेवा और समर्पण करने की शिक्षा मिलती है।
३.६. सेवा और समर्पण का तात्पर्य क्या है? बताओ।
उत्तर :सेवा का तात्पर्य होता है। किसी की खिदमत करना ,संपन्न का तात्पर्य है अपना सब कुछ उसे पर वार देना ।
उत्तर : नदी कविता के कवी डॉ परशुराम शुक्ला है।
उत्तर : नदी मैदानों में बहती है।
उत्तर : इस कविता में डॉ परशुराम शुक्ला नदी का तारीफ करते हुआ कहते है की नदी पर्वत से निकलती हैं। मैदानों से होते हुए सागर से मिल जाती है। बचपन में ये छोटी थी लेकिन इसकी धरा तेज़ थी। अंधी -तूफान सब कुछ है क्र सेहती थी। जब मैदान में अति हैं तो सेवा का संकल्प लेती है। इसलिए हम सब बच्चो को व् नदी से शिक्षा लेकर हमें सम्पूर्ण संसार का सेवा करना चाहिए।
notice :-नदी कविता डॉ पशुराम शुक्ला ने लिखा है। इस article लिखने के लिए हमने west bengal sylabus के पाठबहार पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में हमारी मदद करे।