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सचमुच सोना

सचमुच सोना

लोक कथा

. सचमुच सोना नमक पाठ में किसान ने एकमात्र बेटे को बुलाया :

किसान को गंभीर बीमारी लग गयी थी। बचने की कोई आशा नहीं रही। उसने अपने एकमात्र बेटे को बुलाया और कहा, ‘बेटे अब मेरे दिन पूरे हो चले हैं। जाते-जाते एक जरूरी बात मैं तुमसे कहता जाऊँ।’

 किसान का बेटा बहुत आलसी था पर उसे धन का लालच था। उसके मन में धारणा थी कि पिताजी ने ढेर सा सोना कहीं छिपाकर रखा है,सचमुच सोना। उसने कहा, “पिताजी आपका छिपा सोना कहाँ है। उसे तो बताकर नहीं जा रहे हैं ?” पिता ने कहा, “वही तो बताऊँगा, इसीलिए तो बुलाया है।

 अपना खेत देख रहे हो न, उसमें ही गड़ा हुआ सोना छिपा है। मेरे आँख मूँद लेने के बाद तुम उसे खोजकर निकाल लेना।” यही कहते हुए हमेशा के लिए उसने अपनी आँखें मूँद ली।

. सचमुच सोना नमक पाठ में बेटे की दोनों आँखें लालच से चमक उठीं क्या सचमुच सोना :

सचमुच सोनाबेटे की दोनों आँखें लालच से चमक उठीं। बेटे ने अपनी पत्नी से कहा, ‘पिताजी तो कहकर गये कि हमारी जमीन में सोना गड़ा है। लेकिन ठीक किस जगह गड़ा है, इसे तो वह बताकर नहीं गये।’

 बेटे की पत्नी बहुत बुद्धिमती थी। उसने कहा, ‘अपनी पूरी जमीन को खोदकर देखना होगा। सचमुच सोना निकल अय तो हमारे भाग्य फिर जायेंगे।

 उसने आरामतलबी से अपने दिन बिताये थे। लेकिन सोने के प्रति उसे बहुत लोभ था। पर आलस का रोग भी कम न था। पत्नी जब सोना खोजने की बात कहती, तब वह झल्ला जाता। ‘धत् सोना कहाँ गड़ा है, उसका तो पता ही नहीं। कौन जाये खोदने ? हैइससे तो भला है चादर तानकर सोना।

. सचमुच सोना नमक पाठ में पत्नी ने कहा यदि सचमुच सोना मिलगया तो :

पत्नी ने कहा, ‘तुम मजदूरों को लगाकर जमीन तो खुदवाओ न यदि सोना मिल गया तो हमारे भाग्य फिर जायेंगे।  पत्नी की सलाह सुनकर बेटे ने दो मजदूरों को बुलाया और उन्हें जमीन खोदने के काम में लगा दिया। 

उसकी पत्नी ने फिर आकर कहा, ‘उनके ऊपर काम छोड़कर निश्चिन्त हो,  तुम भी कुदाल लेकर जाओ नहीं तो यदि उन्हें सोने का पता चल गया तो उसे हटाने में कितनी देर !’ लड़के ने सोचा, ठीक ही कह रही है। उनका क्या भरोसा ? यदि वे सोने को हटा दें तो हमारा सारा प्रयास बेकार हो जायेगा। 

इस प्रकार उसने भी एक कुदाल लिया और उनके साथ काम में लग गया। काम करते-करते उन पर नजर रखना भी आसान होगा। जितनी मिट्टी किसान का बेटा खोदता, सोने के प्रति वह उतना ही उतावला होता जाता।

. सचमुच सोना नमक पाठ में पति सुबह से शाम तक खेतों में काम करता:

किन्तु सुबह से शाम तक पाँच बीघे जमीन को खोदने के पश्चात् भी उसे सोने का एक टुकड़ा भी न मिला। तब बेटे  ने अपनी पत्नी से कहा, ‘पिताजी ने निश्चय ही मुझे मूर्ख बनाया। सोना-ओना कुछ भी नहीं है। झूठ-मूठ का खटा मारा मुझे सचमुच  सोना  के चक्कर में। 

पत्नी ने हँसकर कहा, ‘लेकिन देखो, जमीन तो अब खेती करने के लायक हो गयी है।’

बेटे ने अपनी पत्नी की ओर देखा। पत्नी ने कहा, ‘और कुछ दिनों के बाद ही वर्षा आयेगी। यही तो बीज बोने का समय है। पिताजी प्रति वर्ष इसी समय जमीन में धान की खेती करते थे। कितनी अच्छी फसल होती थी।’

 उसकी पत्नी धान का सबसे अच्छा बीज बाजार से खरीदकर ले आई। पति सुबह से शाम तक खेतों में काम करता। पत्नी उसके लिए खाना लेकर जाती। हुक्का भरकर ले जाती। आलसी पति को काम करता देख गर्व से उसकी छाती भर जाती। इसके बाद समयानुसार वर्षा आयी।

सचमुच सोना ,class 3

पत्नी बहुत खुश हुई। यह उसके पति की पहली कमाई थी। हँसकर बोली, ‘तब पिताजी की बात ठीक थी तो ? सचमुच जमीन में सोना ही गड़ा था ?

बेटे ने सिर हिलाकर जवाब दिया, ‘सोलह आना। आज मैंने जाना कि बुद्धि को लगाने और कठिन परिश्रम करने पर पुरस्कार मिलने में देर नहीं लगती । 

1. सचमुच सोना पाठ का Question /Ans

(1) किसान के परिवार में कौन-कौन थे ?

उत्तर:उसका बेटा और बहू । 

(2) किसान के बेटे का स्वभाव कैसा था ?

उत्तर: आलसी। 

(3)पिता की बात सुनकर उसकी  मन की दशा कैसी हो गई?

उत्तर: उसकी आंखें लालच से भर गई। 

(4)अपने बेटे को कौन सा बात बताए बिना किसान चला गया ?

उत्तर:यही कि सोना कहां गड़ा है। 

2. सचमुच सोना पाठ का question/ans

2/(१ ) किसान के बेटे ने सुबह से शाम तक कितनी जमीन खोदी थी ?

उत्तर:5 बीघा। 

(२)किसान की बेटे की पहले कमाई से कौन खुश हुआ?

उत्तर:उसकी पत्नी। 

(३) किन-किन चीजों से मिट्टी को दी जा सकती है?

उत्तर:सब्बल , हसिया ,कुल्हाड़ी आदि । 

(४)बूढ़ा  किसान  के  कितने  बेटे  थे ?

उत्तर : बूढ़ा  किसान  के  एक बेटा  था। 

(५ )बूढ़े किसान  को कैसी  बिमारी  लग गई  थी ?

उत्तर :किसान को गंभीर बीमारी लग गयी थी।

सचमुच सोना पाठ का importance question

उत्तर :बूढ़े  किसान को गंभीर बीमारी लग गई  थी। 

उत्तर :किसान ने अपने एक मात्र  बेटे को   बुलाया। 

उत्तर :बूढ़े  किसान ने कहा सोना खेत में गड़ा  हैं। 

उत्तर :खेत फसल से भर गया। सचमुच फसल के  रूप में सोना उगा। 

notice:-सचमुच सोना एक लोककथा है । इस article  लिखने के लिए हमने west  bengal  sylabus  के पाठबहार  पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना  है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में  हमारी मदद करे। 

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