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(भवानी प्रसाद मिश्र)
गुस्से से उबली बोली ये धागे क्यों हैं मेरे पीछे आगे?
इन्हें तोड़ दो मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
सुनकर बोली और और कठपुतलियाँ
कि हाँ बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद हुए।
मगर पहली कठपुतली सोचने लगी
ये कैसी इच्छा मेरे मन में जगी।
कठपुतली कविता का वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs)
(क) गुस्से से कौन उबली?
(i) कठपुतली ✅
(ii) लड़की
(iii) बिल्ली
(iv) इनमें से कोई नहीं
(ख) कठपुतली के आगे-पीछे क्या है?
(i) कठपुतली
(ii) धागा ✅
(iii) आदमी
(iv) इनमें से कोई नहीं
कठपुतली कविता का लघुत्तरीय प्रश्न उत्तर
(क) कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर: कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उसके आगे-पीछे धागे थे, जो उसकी स्वतंत्रता को बाधित कर रहे थे।
(ख) कठपुतली क्या तोड़ने के लिए कहती है?
उत्तर: कठपुतली अपने पीछे-आगे लगे धागों को तोड़ने के लिए कहती है ताकि वह स्वतंत्र रूप से चल सके।
(ग) कठपुतली की बात का समर्थन किसने किया?
उत्तर: कठपुतली की बात का समर्थन अन्य कठपुतलियों ने किया, उन्होंने कहा कि बहुत दिन हो गए हमें अपने मन का करने का अवसर नहीं मिला।
(घ) पहली कठपुतली क्या सोचने लगी?
उत्तर: पहली कठपुतली सोचने लगी कि यह कैसी इच्छा मेरे मन में जागी। वह इस पर विचार करने लगी कि क्या वास्तव में स्वतंत्रता उसके लिए सही होगी।
कठपुतली कविता का बोधमूलक प्रश्न उत्तर
(I) (क) कठपुतली कविता का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर: कठपुतली कविता का उद्देश्य यह दिखाना है कि मनुष्य भी कठपुतलियों की तरह बंधनों में जीता है। कई बार हम स्वतंत्रता चाहते हैं, लेकिन हमें यह समझ नहीं आता कि हम इसके लिए तैयार हैं या नहीं।
(ख) कठपुतली स्वयं को अपने पैरों पर छोड़ देने के लिए क्यों कहती है?
उत्तर: कठपुतली स्वयं को अपने पैरों पर छोड़ देने के लिए इसलिए कहती है क्योंकि वह स्वतंत्र होकर चलना चाहती है और अपने मन के अनुसार कार्य करना चाहती है।
(ग) ‘ये कैसी इच्छा मेरे मन में जागी’ पहली कठपुतली के ऐसा सोचने का क्या कारण है?
उत्तर: पहली कठपुतली को यह अहसास होता है कि धागे टूटने के बाद शायद वह चल नहीं पाएगी, क्योंकि अब तक वह इन्हीं धागों पर निर्भर थी। इसी कारण उसमें दुविधा उत्पन्न होती है।
कठपुतली कविता का निर्देशानुसार उत्तर दीजिए
(क) “सुनकर बोली और-और कठपुतलियाँ कि हाँ बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद हुए।”
(i) प्रस्तुत पद्यांश किस कवि की किस रचना से उद्धृत है?
उत्तर: यह पद्यांश कवि भवानी प्रसाद मिश्र की कविता “कठपुतली” से उद्धृत है।
(ii) ‘मन के छंद छूने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘मन के छंद छूने’ का आशय यह है कि कठपुतलियाँ लंबे समय से स्वतंत्र रूप से अपने मन के अनुसार कार्य नहीं कर पाई हैं। वे केवल दूसरों के इशारों पर नाच रही हैं।
कठपुतली कविता का शब्द ज्ञान
(क) निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:
- मन – चित्त, हृदय, आत्मा
- इच्छा – कामना, अभिलाषा, चाह
- गुस्सा – क्रोध, रोष, आक्रोश
- दिन – दिवस, वार, तिथि
(ख) निम्न शब्दों के लिंग बताइए:
- कठपुतली – स्त्रीलिंग
- दिन – पुल्लिंग
- छंद – पुल्लिंग
- इच्छा – स्त्रीलिंग
- मन – पुल्लिंग
कठपुतली कविता का रचनात्मक लेखन
(क) यदि आप कठपुतली होते और आपके हाथ-पाँव धागों से बंधे होते, तो आप क्या सोचते? अपने विचार दस पंक्तियों में लिखिए।
उत्तर:
यदि मैं कठपुतली होता और मेरे हाथ-पाँव धागों से बंधे होते, तो मैं कुछ इस प्रकार सोचता –
- मैं अपने मन के अनुसार चल नहीं सकता।
- मुझे किसी और के इशारे पर नाचना पड़ता है।
- मेरी कोई स्वतंत्र इच्छा नहीं है।
- मैं क्या करूँ और क्या न करूँ, इसका निर्णय कोई और करता है।
- क्या मैं कभी अपने पैरों पर खड़ा हो पाऊँगा?
- अगर मुझे आज़ादी मिले तो क्या मैं चल भी पाऊँगा?
- स्वतंत्रता और पराधीनता में क्या बेहतर है?
- शायद मेरी आदत ही पड़ गई है दूसरों के इशारों पर चलने की।
- अगर धागे टूट गए, तो मैं गिर जाऊँगा या उड़ जाऊँगा?
- मैं सोचता हूँ कि मेरी पहचान क्या है – कठपुतली या स्वतंत्र प्राणी?
notice : कठपुतली कविता भवानी प्रसाद मिश्र ने लिखा है। इस article लिखने के लिए हमने west bengal sylabus के साहित्य मेला पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में हमारी मदद करे।