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गुदड़ साईं by educated india

Table of Contents

गुदड़ साईं

जय शंकर प्रसाद 

1.गुदड़ साईं का  वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQ)

(क) गुदड़ साईं को कौन पुकार रहा था?गुदड़ साईं by educated india

(i) लेखक
(ii) मोहन
(iii) 10 वर्ष का बालक

उत्तर: (ii) मोहन

(ख) मोहन के पिता कौन थे?

(i) वेदांती
(ii) अघोरी 
(iii) आर्य समजी 

उत्तर: (iii) आर्य समजी 

(ग) “गुदड़े के लाल” किसे कहा गया है?

(i) मोहन को
(ii) 10 वर्ष के बालक को
(iii) साईं को

उत्तर: (iii) साईं को


2.गुदड़ साईं का लघुत्तरीय प्रश्न (Short Answer Questions)

(1) मोहन को गुदड़ साईं से क्यों लगाव था?

उत्तर: मोहन को साईं से प्रेम और करुणा थी क्योंकि वह उसे एक दयालु व्यक्ति मानता था और उसकी सहायता करना चाहता था।

(2) गुदड़ साईं की अक्षय दृष्टि का क्या कारण था?

उत्तर: साईं की अक्षय दृष्टि का कारण उनका आध्यात्मिक ज्ञान और सरल स्वभाव था, जिससे वे हर परिस्थिति को सहन कर सकते थे।

(3) मोहन के पिता क्यों नाराज हो गए?

उत्तर: मोहन के पिता इस बात से नाराज हुए कि उनका बेटा साईं जैसे फटेहाल व्यक्ति से लगाव रखता है और उसकी सहायता करता है।

(4) मोहन के पिता आश्चर्यचकित क्यों हुए?

उत्तर: मोहन के पिता साईं की सहनशीलता और उसके स्वभाव को देखकर चकित रह गए। उन्होंने देखा कि साईं ने अन्याय का प्रतिकार नहीं किया और धैर्य बनाए रखा।

(5) गुदड़ साईं क्यों रोने लगा?

उत्तर: साईं भावनात्मक रूप से कमजोर नहीं था, लेकिन जब उसे अपमानित किया गया और अन्याय सहना पड़ा, तब वह रो पड़ा।


3.गुदड़ साईं का बोधमूलक प्रश्न (Comprehension Questions)

(1) साईं का स्वभाव कैसा था?

उत्तर: साईं का स्वभाव अत्यंत शांत, सहनशील और करुणामय था। वह किसी से बदला नहीं लेता था और दूसरों के कष्टों को समझता था।

(2) मोहन से रोटी मिलने के बाद साईं क्या सोचता था?

उत्तर: साईं सोचता था कि यह बच्चा कितना दयालु और निश्छल है, जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सहायता करता है।

(3) कई दिनों बाद लौटने के पश्चात साईं मोहन के घर क्यों नहीं गया?

उत्तर: साईं को यह आभास हो गया था कि मोहन के पिता उसकी उपस्थिति से नाराज हैं, इसलिए वह मोहन के घर नहीं गया।

(4) साईं ने चीथड़े छीनकर भागने वाले लड़के को मारने से क्यों रोका?

उत्तर: साईं के हृदय में दया और करुणा थी। उसने महसूस किया कि गरीबी और भूख के कारण लड़का मजबूर था, इसलिए उसने उसे क्षमा कर दिया।


4.गुदड़ साईं का निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

(क) ‘बाबा मेरे पास दूसरी कौन प्रसन्न करता’

(i) पाठ व रचनाकार का नाम बताइए।

उत्तर: पाठ का नाम “साईं” है और रचनाकार जयशंकर प्रसाद हैं।

(ii) ‘राम रूप’ किसे कहा गया है?

उत्तर: ‘राम रूप’ साईं को कहा गया है क्योंकि वह सरल, सहनशील और करुणामय थे।

(iii) उक्त पंक्ति की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: इस पंक्ति में मोहन ने साईं से अपने स्नेह को व्यक्त किया है। वह साईं को एक दयालु व्यक्ति मानता था और उसकी सहायता कर प्रसन्नता का अनुभव करता था।


(ख) ‘पर चीथड़े पर भगवान ही दया करते हैं?’

(i) उक्त पंक्ति के वक्ता व श्रोता का नाम लिखें।

उत्तर: वक्ता मोहन के पिता हैं और श्रोता मोहन है।

(ii) उक्त पंक्ति की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: इस पंक्ति में मोहन के पिता यह कहना चाहते हैं कि दीन-हीनों और गरीबों की सहायता केवल भगवान कर सकते हैं, मनुष्य उनके लिए अधिक कुछ नहीं कर सकता।


5. मोहन के पिता के स्वभाव में हुए परिवर्तन को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर: मोहन के पिता प्रारंभ में साईं से घृणा करते थे और मोहन को उससे दूर रहने के लिए कहते थे। लेकिन साईं की सहनशीलता और दयालुता को देखकर उनके विचार बदल गए और वे उसकी महानता को स्वीकार करने लगे।


6.गुदड़ साईं का  शब्दार्थ एवं व्याकरण

(1) निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए:

  • अभिमान → घमंड, अहंकार
  • फकीर → संत, साधु
  • प्रसन्न → आनंदित, खुश
  • भगवान → ईश्वर, परमात्मा

(2) पाठ में “साईं” जैसे अन्य उद्भव शब्द लिखिए।

  • साधु
  • संन्यासी
  • वेदांती

(3) निम्नलिखित शब्दों का लिंग परिवर्तन कीजिए:

  • रोटी (स्त्रीलिंग) → भोजन (पुल्लिंग)
  • वैरागी (पुल्लिंग) → वैरागिनी (स्त्रीलिंग)
  • अभिमान (पुल्लिंग) → अभिमानिनी (स्त्रीलिंग)
  • चीथड़ा (पुल्लिंग) → चीथड़ी (स्त्रीलिंग)

7.गुदड़ साईं का विचार और कल्पना (Creative Writing & Analysis)

(1) जयशंकर प्रसाद की अन्य कहानियों को पढ़िए।

  • “छोटे जादूगर”
  • “आकाशदीप”
  • “गुंडा”

(2) व्यक्ति कभी-कभी मानवीय गुणों को पहचानने में भूल करता है। इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर: मनुष्य की प्रवृत्ति होती है कि वह बाहरी आडंबरों पर ध्यान देता है और व्यक्ति के वास्तविक गुणों को अनदेखा कर देता है। साईं का उदाहरण हमें सिखाता है कि हमें लोगों की सच्ची महानता को पहचानने का प्रयास करना चाहिए।

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1 thought on “गुदड़ साईं”

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