धनों का गीत
(केदारनाथ सिंह)
धान उगेंगे कि प्रान उगेंगे उगेंगे हमारे खेत में, आना जी बादल जरूर !
चन्दा को बाँधेंगे कच्ची कलगियों सूरज को सूखी रेत में, आना जी बादल जरूर !
आगे पुकारेगी सूनी ङारिया पीछे झुके वन-बेंत, संझा पुकारेंगी गीली अँखड़ियाँ
भोर हुए धन-खेत, आना जी बादल जरूर, धान कँपेंगे कि प्रान कँपेंगे
कैंपेंगे हमारे खेत में, आना जी बादल जरुर !
धूप ढरे तुलसी-वन झरेंगे
साँझ घिरे पर कनेर, पूजा की बेला में ज्वार झरेंगे, धान-दिये की बेर, आना जी बादल जरूर,
धान पकेंगे कि प्रान पकेंगे पकेंगे हमारे खेत में, आना जी बादल जरूर !
धनों का गीत कविता का वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर
- (क) खेत में धान उगने को कवि किस रूप में देखता है?
उत्तर: (i) प्रान उगेंगे - (ख) कवि किसको आने के लिए कहता है?
उत्तर: (iii) बादल - (ग) आगे कौन पुकारेगी?
उत्तर: (ii) छारिया
धनों का गीत कविता का लघुत्तरीय प्रश्नों के उत्तर
- (क) कवि चंदा को किसमें बाँधने की बात कहता है?
उत्तर: कवि चंदा को कच्ची कलगियों में बाँधने की बात कहता है। - (ख) गीली अँखड़ियाँ किसे पुकारेंगी?
उत्तर: गीली अँखड़ियाँ बादलों को पुकारेंगी। - (ग) ‘धानों का गीत’ किस प्रकार की कविता है?
उत्तर: ‘धानों का गीत’ ग्रामीण परिवेश और प्रकृति पर आधारित गीतात्मक कविता है।
धनों का गीत कविता का बोधमूलक प्रश्नों के उत्तर
- (क) प्रस्तुत कविता में बादल का स्वागत किनके द्वारा किया गया है?
उत्तर: प्रस्तुत कविता में बादल का स्वागत किसान के स्वर में किया गया है। - (ख) कवि ‘आना जी बादल जरूर’ कहकर बादलों का आह्वान क्यों करता है?
उत्तर: कवि ‘आना जी बादल जरूर’ कहकर इसलिए आह्वान करता है क्योंकि बारिश से खेतों में धान की फसल अच्छी होगी, जो जीवन का आधार है। - (ग) बादल का स्वागत कौन-कौन और कब-कब कर रहे हैं?
उत्तर: बादल का स्वागत किसान, गाँव के लोग, और प्रकृति (जैसे छारिया और अँखड़ियाँ) तब कर रहे हैं जब खेत सूखे हैं और बारिश की आवश्यकता है। - (घ) ‘धान पकेंगे कि प्रान पकेंगे’ इस पंक्ति में धान को प्रान क्यों कहा गया है?
उत्तर: इस पंक्ति में धान को प्रान इसलिए कहा गया है क्योंकि धान किसानों और गाँव के लोगों के जीवन का मुख्य आधार है।
धनों का गीत कविता का निर्देशानुसार उत्तर
- (क) “धूप ढरे तुलसी वन झरेंगे धान दिये की बेर।”
- (i) साँझ घिरने पर कौन झरता है?
उत्तर: साँझ घिरने पर तुलसी वन झरता है। - (ii) ऊपर की पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने साँझ के समय प्रकृति की छटा का वर्णन किया है, जिसमें तुलसी और धान की महत्ता दिखाई देती है।
- (i) साँझ घिरने पर कौन झरता है?
- (ख) “आगे पुकारेगी सूनी छारिया पीछे झुके वन-बेंत।”
- (i) पाठ और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर: पाठ का नाम – ‘धानों का गीत’, कवि – केदारनाथ सिंह। - (ii) ‘सूनी छारिया’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: ‘सूनी छारिया’ से कवि का आशय सूखी और खाली पड़ी जमीन से है जो बारिश की प्रतीक्षा कर रही है।
- (i) पाठ और कवि का नाम लिखिए।
धनों का गीत कविता का भाषा-बोध
- तद्भव और तत्सम शब्द:
- तद्भव: चंदा (तत्सम: चन्द्रमा), धान (तत्सम: धान्य), प्रान (तत्सम: प्राण)।
- अन्य तद्भव: सूरज (तत्सम: सूर्य), बादल (तत्सम: वादर)।
- मानवीकरण के उदाहरण:
- संझा पुकारेगी।
- भोर हुए धन-खेत।
- गीली अँखड़ियाँ पुकारेंगी।
- पर्यायवाची शब्द:
- बादल: मेघ, घटा।
- साँझ: सन्ध्या, गोधूलि।
- भोर: प्रभात, प्रातःकाल।
- वन: जंगल, अरण्य।