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Toggleपेड़ चलते फिरते क्यों नहीं
.पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखो :
१. पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी शुरुवात :
बहुत-बहुत दिनों पहले की बात है। कभी धरती पर पेड़ भी चला करते थे। जड़ें मिट्टी के नीचे-नीचे चलतीं और बड़े आराम से वे घूमते-टहलते।धरती उस समय अत्यन्त हरी-भरी, बहुत सुन्दर थी। पेड़ और मनुष्य दोनों आपस में बातें करते। एक दूसरे को वे उपकारी मित्र मानते ।
२. पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी में उस समय कोई वाहन नहीं था :
कोई यानवाहन नहीं था तब। लोगों को दूर-दूर तक पैदल चलकर ही जाना पड़ता। हाथों में सामान को लेकर चलना बड़ा कष्टकर था। तब पेड़ ही उस कार्य को करते। लोगों को दूर-दूर तक पैदल चलकर ही जाना पड़ता। सामानों को अच्छी तरह से शाखाओं में लटकाकर उन्हें बताते ही पेड़ पैदल चलते हुए सामानों को उनके घर पहुँचा देते।

३. पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी में पेड़ बुजुर्ग लोगो के मदद करते थे :
यहाँ तक कि बूढ़े-बुजुर्ग लोगों के भी बड़े काम आते थे वे। इसके लिए उन्हें केवल पेड़ की शाखाओं पर चढ़ना पड़ता। फिर पेड़ उन्हें सुरक्षित जगह पर पहुँचा देते। और तो और वो जहाँ-जहाँ जाना चाहते वहीं-वहीं उनको पहुँचा देते। कितने अच्छे दिन थे वे !
४. पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी में कुछ लोगो ने पेड़ का अपमान किया :
एक बार कुछ लोग जंगल में गये थे।लौटते समय सभी बहुत थक गये थे। उनमें चलने की शक्ति भी नहीं रही। तब उन लोगों ने तय किया कि उनके कंधों पर रखे सामानों के बोझ को कम करने के लिए उसे पेड़ की शाखाओं में लटका देंगे। सार अपने भारी सामानों को लोगों ने पेड़ की विभिन्न शाखाओं पर लटका दिया और अपने पैदल चलने लगे। लेकिन उनके वजनी सामानों का भार पेड़ की शाखाएँ सहन नहीं कर सकीं। और शाखायें झुककर नीचे की ओर आ गयीं। यह देखकर सहानुभूत्ति जताने के बदले वे हो-हो कर हँसने लगे।
५, पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी में पेड़ तय किया की अब कभी नहीं चलेंगे :
पेड़ों की ऐसी असहाय और करुण अवस्था में करुणा-दया दिखाने की जगह उनके चेहरे पर कुटिल मुस्कान छा गई। यहाँ तक की सभी खुश होकर ताली बजाने लगे। ऐसा उपहास पेड़ों को सहन न हुआ। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। और तभी से पेड़ों ने तय कर लिया कि अब वे और नहीं चलेंगे।तभी से पेड़ो ने चलना बांध कर दिया। इस लिए पेड़ चलते फिरते नहीं है।
६. पेड़ आज भी बहुत उपकर करते है :
परन्तु पेड़ आज भी कितने उपकारी हैं। फूल-फल उपहार में देते हैं लोगों को। मनुष्यों को साँस लेने के लिए हमेशा आक्सीजन जुटाते हैं। धूप-वर्षा से लोगों को बचाते हैं। नदी के किनारों को टूटने नहीं देते। पेड़-पौधों द्वारा कितनी दवाईयाँ बनतीं हैं। कितने पंछी- पखेरु उन पेड़ों पर अपने घर बनाते हैं।
१.पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी के सभी प्रशनो का संक्षेप में उत्तर दो।
१.१. किस समय की बात कहानी में आई है?
उत्तर:बहुत-बहुत दिनों पहले की बात है। कभी धरती पर पेड़ भी चला करते थे।
१.२. पेड़ उस समय किस तरह चलते-फिरते थे ?
उत्तर: जड़ें मिट्टी के नीचे-नीचे चलतीं और बड़े आराम से वे घूमते-टहलते।
१.३. उस समय धरती कैसी थी ?
उत्तर:धरती उस समय अत्यन्त हरी-भरी, बहुत सुन्दर थी।
१.४. पेड़ और मनुष्य एक दूसरे को क्या मानते थे ?
उत्तर: एक दूसरे को वे उपकारी मित्र मानते ।
१.५. मनुष्य किस प्रकार एक जगह से दूसरी जगह जाते थे ?
उत्तर:लोगों को दूर-दूर तक पैदल चलकर ही जाना पड़ता।
१.६. पेड़ कौन सा कार्य करते थे ?
उत्तर:लोगों को दूर-दूर तक पैदल चलकर ही जाना पड़ता। सामानों को अच्छी तरह से शाखाओं में लटकाकर उन्हें बताते ही पेड़ पैदल चलते हुए सामानों को उनके घर पहुँचा देते।
१.७.पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी में मनुष्य पेड़ की शाखाओं में किसे लटका दिया करते थे ?
उत्तर:पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी में मनुष्य पेड़ की शाखाओं में अपने सामान लटका दिया करते थे ।
.पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी का importance question
उत्तर :पेड़ चलते फिरते क्यों नहीं कहानी में बुजुर्ग लोग पेड़ की शाखाओं पर बैठ जाते और फिर उन्हें एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा देता था ।
उत्तर : जंगल से वापस लौटते समय कुछ लोगों ने अपना सामान पेड़ कीशाखाओं पर लटका दिया ।
उत्तर : शाखाएं भारी सामान का बोझ ना उठा सके और झुक कर नीचे आ गई।
उत्तर : शाखाओं को नीचे झुकता देख लोग उसका मजाक उड़ाने लग गए और उसे पर हंसने लगे ।
उत्तर:शाखायें झुककर नीचे की ओर आ गयीं। यह देखकर सहानुभूत्ति जताने के बदले वे हो-हो कर हँसने लगे। पेड़ों की ऐसी असहाय और करुण अवस्था में करुणा-दया दिखाने की जगह उनके चेहरे पर कुटिल मुस्कान छा गई। यहाँ तक की सभी खुश होकर ताली बजाने लगे। ऐसा उपहास पेड़ों को सहन न हुआ। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। और तभी से पेड़ों ने तय कर लिया कि अब वे और नहीं चलेंगे।
उत्तर:तभी से पेड़ों ने तय कर लिया कि अब वे और नहीं चलेंगे।
उत्तर : तब से यात्रा करते समय लोगों को अपने भारी सामानों को अपने ही ढोना पड़ता है। पेड़ अब चलते-फिरते नहीं, इसीलिए लोगों की सहायता भी नहीं करते।
उत्तर : परन्तु पेड़ आज भी कितने उपकारी हैं। फूल-फल उपहार में देते हैं लोगों को। मनुष्यों को साँस लेने के लिए हमेशा आक्सीजन जुटाते हैं। धूप-वर्षा से लोगों को बचाते हैं। नदी के किनारों को टूटने नहीं देते। पेड़-पौधों द्वारा कितनी दवाईयाँ बनतीं हैं। कितने पंछी- पखेरु उन पेड़ों पर अपने घर बनाते हैं।
उत्तर : एक बार कुछ लोग जंगल में गये थे।लौटते समय सभी बहुत थक गये थे। उनमें चलने की शक्ति भी नहीं रही। तब उन लोगों ने तय किया कि उनके कंधों पर रखे सामानों के बोझ को कम करने के लिए उसे पेड़ की शाखाओं में लटका देंगे।
लेकिन उनके वजनी सामानों का भार पेड़ की शाखाएँ सहन नहीं कर सकीं। और शाखायें झुककर नीचे की ओर आ गयीं। यह देखकर सहानुभूत्ति जताने के बदले वे हो-हो कर हँसने लगे।
पेड़ों की ऐसी असहाय और करुण अवस्था में करुणा-दया दिखाने की जगह उनके चेहरे पर कुटिल मुस्कान छा गई। यहाँ तक की सभी खुश होकर ताली बजाने लगे। ऐसा उपहास पेड़ों को सहन न हुआ। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। और तभी से पेड़ों ने तय कर लिया कि अब वे और नहीं चलेंगे।तभी से पेड़ो ने चलना बांध कर दिया। इस लिए पेड़ चलते फिरते नहीं है।
notice :-पेड़ चलते फिरते क्यू नहीं क्लास ३ की कहानी है। इस article लिखने के लिए हमने west bengal sylabus के पाठबहार पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में हमारी मदद करे।