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वृंद के दोहे

                                                                                    कवि -वृंद


वृंद के दोहे का optional question 


(क ) कवि के अनुसार सब लोग किसकी सहायता करते है?

उत्तर :- सबल की

(ख ) हमें दान किसको देना चाहिए ?

उत्तर :-दीन को

(ग )कौन आग को बड़ा देता है और दीपक को बुझा देता है?

उत्तर :-हँवा

वृंद के दोहे का short  question 

(क )दान किसको देना चाहिए ?

उत्तर :-दान दीन को देना चाहिए।

(ख )विद्या की प्राप्ति के लिए  किया करना चाहिए ?

उत्तर :-विधा की प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए।

(ग ) मीठी बोली बोलकर  तोता कहाँ कैद हो जाता है ?

उत्तर : –मीठी बोली बोलकर  तोता दिल के पिंजरे में कैद हो जाता है।

(घ ) कौन अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता ?

उत्तर :- दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता।

(ड. )विष कौन सा गुण नहीं त्यागता है ?

उत्तर :-विष स्यामला गुण नहीं त्यागता है।

वृंद के दोहे का long  question 

(क ) दुष्ट की  दुष्टता का क्या प्रभाव पड़ता है। 

उत्तर :दुष्ट की  दुष्टता का क्या प्रभाव बुरा पड़ता है।  दुष्ट के संगत में   रहने  वाला व्यक्ति भी दुष्ट बन जाता है। और वो कभी भी  अपने दुष्टता के करण कामयाब  नहीं हो पता है। 

(ख ) बिना अवसर की बात कैसी लगती है ?

उत्तर :-बिना अवसर की बात  नीकी पे फीकी लगती है। जिस तरह युद्ध में श्रृंगार  नहीं अच्छा लगता उसी प्रकार अवसर नहीं रहने पर बात अच्छा नहीं लगता। 

 

(क )   जाही  ते कहु  पाइये ,करिये ताकी आस। वृंद के दोहे

                  रीती सरवर पर गये ,कैसे बुझत पिआस। 

(1 ) पाठ और कवि का नाम बताओ ?

उत्तर :-पाठ का नाम वृंद के दोहे और कवि का नाम वृन्द है। 

(२ ) उपयुक्त अंश की व्याख्या कीजिए ?

उत्तर :-जिस प्रकर किसी प्यासे व्यक्ति की प्यास  सरोवर में जाने से नहीं  बुझती। उसे प्यास बुझाने के लिए जलाशय में जाना होता है। ठीक उसी प्रकर जहाँ से मिलने की उम्मीद हो वहीँ की आश लगाना चाहिए। 

(ख ) विधा धन उधम बिना , कहा  जु पावै कौन। 

                           बिना डुलाये ना मिलै ,ज्यों पंखा की पौन

(१)विधा रूपी धन की प्राप्ति कैसे हो सकती है।

उत्तर :-विधा रूपी धन की प्राप्ति प्रयास और परिश्रम करने से हो सकती है l

(२ ) उपयुक पंक्तियो का भाव स्पष्ट कीजये ?

उत्तर:-उपयुक पंक्तियो में कवि कहते है विधा रुपी धन की प्राप्ति  बिना मेहनत करे नही हो सकती । जिस प्रकर बिना मेहनत करके पंखा हिलाए शारीर को ठंडक नही मिल सकता उसी प्रकार बिना कठिन परिश्रम के विधा रुपी धन की प्राप्ति नही हो सकता ।

(क ) शब्दों के शुद रूप –

सिंगार-श्रृंगर

पिआस –प्यास 

करतब –कर्तव्य 

पोंन –पवन 

सबन –सब 

प्रीति-प्रेम 

(ख ) पर्यावाची शब्द 

अवसर –समय ,संयोग

सरवर-तालाब,जलाशय 

पवन –वायु , हवा 

आग –अनल ,पावक 

शरीर –तन ,देह 

 

 

 

 

 

 

कवि के अनुसार सबलोग सबल की सहायता करते हैं 

विधा रूपी धन की प्राप्ति प्रयास और परिश्रम करने से हो सकती है l

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