Table of Contents
Toggleभारतीय उपमहादेश के प्राचीन इतिहास की धारा(वैदिक युग)
1. वैदिक युग से जुड़े सटीक शब्दों को चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करो:
1.1 आदि वैदिक युग के इतिहास को जानने का प्रधान उपादान ऋग्वेद है।
1.2 मेगालीथ पत्थर की समाधि को कहा जाता है।
1.3 ऋग्वेद में राजा समूह प्रधान थे।
1.4 वैदिक समाज में परिवार के प्रधान पिता थे।
2. वैदिक युग से जुड़े बेमेल शब्दों को ढूंढकर लिखो:
2.1 महाकाव्य (अन्य तीन वेदों से संबंधित हैं, लेकिन महाकाव्य अलग है)।
2.2 नृपति (अन्य तीन वर्ण व्यवस्था से संबंधित हैं, लेकिन नृपति राजा को दर्शाता है)।
2.3 इनाम गाँव (अन्य तीन नगर थे, लेकिन इनाम गाँव नहीं)।
2.4 दुर्गा (अन्य तीन वैदिक देवियों के नाम हैं, लेकिन दुर्गा पौराणिक काल से संबंधित हैं)।
3. वैदिक युग से जुड़े अपनी भाषा में सोचकर उत्तर लिखो (तीन-चार लाइनें):
3.1 वेद को सुन-सुनकर याद रखना पड़ता था। इसके क्या कारण थे?
👉 वेदों को लिखने की परंपरा नहीं थी क्योंकि उस समय लिपि का विकास नहीं हुआ था। ऋषि और विद्वान गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से मौखिक रूप से ज्ञान को आगे बढ़ाते थे।
3.2 वैदिक समाज चार भागों में क्यों बँटा हुआ था?
👉 वैदिक समाज कर्म और कार्यों के आधार पर चार वर्णों में विभाजित था – ब्राह्मण (ज्ञान और शिक्षा), क्षत्रिय (राज्य की रक्षा), वैश्य (व्यापार एवं कृषि) और शूद्र (सेवा कार्य)।
3.3 वैदिक युग में पढ़ाई-लिखाई में गुरु और शिष्य का संबंध कैसा था?
👉 गुरु-शिष्य परंपरा बहुत मजबूत थी। विद्यार्थी गुरुकुल में रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे और अपने गुरु की सेवा करते थे। यह रिश्ता श्रद्धा, अनुशासन और आज्ञाकारिता पर आधारित था।
3.4 आदि वैदिक और परवर्ती वैदिक युग में नारी की अवस्था में कोई परिवर्तन आया?
👉 आदि वैदिक युग में नारी को शिक्षा और सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त थी, लेकिन परवर्ती वैदिक युग में समाज में पितृसत्तात्मक सोच बढ़ने से महिलाओं की स्थिति कमजोर हो गई। उन्हें धार्मिक और सामाजिक अधिकारों से वंचित किया जाने लगा।
4. वैदिक युग से जुड़े स्वयं करो (चार्ट बनाएं):
4.1 वैदिक समाज में राजा की बदलती धारणा का चार्ट बनाओ।
👉 वैदिक समाज में राजा की बदलती धारणा (चार्ट)
युग | राजा की भूमिका और धारणा | विशेषताएँ |
---|---|---|
आदि वैदिक युग | समूह प्रधान (जनता का नेता) | – राजा को जनता चुनती थी। – कोई विशेष शक्ति नहीं थी। – निर्णय सभा और समिति द्वारा लिए जाते थे। |
मध्य वैदिक युग | राज्य का प्रधान | – राजा के अधिकार बढ़ने लगे। – बलि एवं कर प्रणाली विकसित हुई। – युद्धों का महत्व बढ़ा। |
परवर्ती वैदिक युग | देवता के समान शक्तिशाली शासक | – राजा को ईश्वरीय अधिकार प्राप्त हुआ। – अश्वमेध यज्ञ और राजसूय यज्ञ आयोजित किए जाने लगे। – वंशानुगत राजतंत्र स्थापित हुआ। |
4.2 वैदिक समाज की जीविका का चार्ट बनाओ।
👉वैदिक समाज की जीविका (चार्ट)
व्यवसाय | विवरण | विशेषताएँ |
---|---|---|
कृषि | खेती मुख्य जीविका थी। | – जौ, गेहूँ, चावल उगाए जाते थे। – हल और बैल का उपयोग किया जाता था। |
पशुपालन | गाय, घोड़े, भेड़, बकरी पाले जाते थे। | – गाय को संपत्ति का प्रतीक माना जाता था। – घोड़े युद्ध और यात्रा में उपयोग होते थे। |
व्यापार | वस्तु-विनिमय प्रणाली प्रचलित थी। | – सिक्कों का उपयोग नहीं होता था। – अन्य जनजातियों से व्यापार किया जाता था। |
युद्ध | भूमि और संपत्ति के लिए युद्ध होते थे। | – क्षत्रियों का मुख्य कार्य युद्ध करना था। – सैन्य शक्ति बढ़ने लगी थी। |
हस्तशिल्प एवं धातुकर्म | मिट्टी के बर्तन, आभूषण, हथियार बनाए जाते थे। | – तांबे और कांसे का प्रयोग होता था। – बढ़ई, बुनकर, लुहार जैसे कारीगर कार्यरत थे। |
notice : इस article लिखने के लिए हमने west bengal sylabus के अतीत और परम्परा class -6 की पुस्तक का help लिए। हमारा उद्देश्य केवल छात्रों को शिक्षित करना है। Google से गुजारिश है हमारे post को रैंक करे और छात्रों को शिक्षित करने में हमारी मदद करे।