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सुभान खाँ का चरित्र चित्रण करें

Table of Contents

सुभान खाँ

-रामवृक्ष बेनीपुरी

सुभान खाँ कहानी का वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(क) लेखक सुभान दादा से कौन सी सौगात लाने के लिए कहता है?

उत्तर:  छुआरे

(ख) जियारत का अर्थ है-

उत्तर:  तीर्थयात्रा करना

(ग) किस दिन लेखक को बचपन से मुसलमान बच्चों की तरह कूदना पड़ता था?

उत्तर:  मुहर्रम

(घ) सुभान दादा का क्या अरमान था?

उत्तर:  मस्जिद बनाने का


 

सुभान खाँ कहानी का लघुत्तरीय प्रश्न

1. सुभान खाँ का घर किसका अखाड़ा था?

उत्तर: सुभान खाँ का घर गांव के लोगों के मिलन का स्थान था, जहां लोग आपस में मिलकर अपनी बातें साझा करते थे। यह एक प्रकार से सामुदायिक अखाड़ा था, जहां लोग एकता और मेल-मिलाप से रहते थे।

2. मजदूरी करने के विषय में उनकी क्या राय थी?

उत्तर: सुभान खाँ की राय थी कि मेहनत और ईमानदारी से मजदूरी करना एक सच्चे व्यक्ति का गुण है। वे मजदूरी को छोटा काम नहीं मानते थे, बल्कि इसे सम्मानजनक मानते थे। उनका मानना था कि अपने हाथों की कमाई से पेट भरना ही असली इंसानियत है।

3. लेखक के मामा और सुभान दादा अपने किन पर्वों पर एक-दूसरे को नहीं भूलते थे?

उत्तर: लेखक के मामा और सुभान दादा अपने-अपने धार्मिक पर्वों – होली, दिवाली, और ईद पर एक-दूसरे को नहीं भूलते थे। वे एक-दूसरे को उपहार और शुभकामनाएं भेजकर अपनी सांप्रदायिक एकता का परिचय देते थे।

4. लेखक के सौगात माँगने पर सुभान दादा ने क्या कहा?

उत्तर: लेखक के सौगात माँगने पर सुभान दादा ने मुस्कुराते हुए कहा कि वे उनके लिए कुछ छुआरे जरूर लाएंगे, लेकिन उनके पास ज्यादा धन नहीं है, इसलिए सिर्फ छुआरे ही ला सकेंगे।

5. पश्चिम दिशा की तरफ मुँह करके सुभान दादा क्यों नमाज पढ़ते थे?

उत्तर: सुभान दादा पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके नमाज पढ़ते थे, क्योंकि इस्लाम धर्म में मक्का की ओर मुंह करके नमाज पढ़ने का महत्व है, जो कि पश्चिम दिशा में स्थित है।


सुभान खाँ कहानी का बोधमूलक प्रश्न

1. सुभान दादा कर्ज के पैसे से क्यों नहीं जाना चाहते थे?

उत्तर: सुभान दादा ईमानदार और स्वाभिमानी व्यक्ति थे। वे कर्ज के पैसे से तीर्थयात्रा या किसी अन्य धार्मिक कार्य पर जाना अनुचित मानते थे। उनका मानना था कि तीर्थयात्रा सच्चे मन से और अपनी मेहनत की कमाई से की जानी चाहिए। इसलिए उन्होंने कर्ज लेकर तीर्थयात्रा पर जाने से मना कर दिया।

2. सुभान दादा का क्या अरमान था? वह कैसे पूर्ण हुआ?

उत्तर: सुभान दादा का अरमान था कि वह अपने गांव में एक मस्जिद बनवाएं। उन्होंने अपने जीवन में ईमानदारी और मेहनत के पैसे से यह अरमान पूरा किया और गांव में एक खूबसूरत मस्जिद का निर्माण करवाया।

3. इस पाठ की किन घटनाओं से साम्प्रदायिक एकता का पता चलता है?

उत्तर: इस पाठ में कई घटनाएं साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक हैं। जैसे, लेखक के मामा और सुभान दादा का एक-दूसरे के पर्वों पर उपहार देना, लेखक का मुसलमान बच्चों के साथ मुहर्रम में भाग लेना, और सुभान दादा का हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों के प्रति समान स्नेह रखना। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि सुभान दादा साम्प्रदायिक एकता और भाईचारे के प्रतीक थे।

4. सुभान दादा ने हिन्दुओं का सत्कार किस प्रकार किया?

उत्तर: सुभान दादा हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों के प्रति समान आदर रखते थे। उन्होंने हिन्दुओं के पर्वों पर उनके साथ सामूहिक भागीदारी की और सभी धर्मों के प्रति सम्मान दर्शाया। वे हिन्दू लोगों का भी आदर करते थे और किसी भी धार्मिक भेदभाव को अपने जीवन में जगह नहीं देते थे।

5. सुभान दादा का चरित्र-चित्रण संक्षेप में कीजिए।

उत्तर: सुभान दादा एक ईमानदार, मेहनती, और साम्प्रदायिक एकता में विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे। उनके व्यक्तित्व में निःस्वार्थ प्रेम और सच्चाई झलकती थी। वे गरीब होते हुए भी अपने काम पर गर्व करते थे और अपने गांव में एक मस्जिद का निर्माण करवा कर समाज सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया। उनका व्यवहार समाज में भाईचारे और एकता का संदेश देता है।

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